Book Title: Samyag Gyan Charitra 01
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 5
________________ इस ग्रन्थ का प्रकाशन बड़ा ही श्रम साध्य कार्य था, चूंकि प्रकाशन के लिए समाज का दबाव भी बहुत था, अत. इसे सम्पादित करने हेतु ब्र० यशपाल जी को तैयार किया गया। उन्होने अथक परिश्रम कर इस गुरुतर भार को वहन किया, इसके लिए यह ट्रस्ट सदैव उनका ऋणी रहेगा। पुस्तक का प्रकाशन इस विभाग के प्रभारी श्री अखिल बसल ने बखूबी सम्हाला है। अत उनका आभार मानते हुए जिन महानुभावो ने इस ग्रन्थ की कीमत कम करने मे आर्थिक सहयोग दिया है उन्हे धन्यवाद देता हूँ। इस ट्रस्ट के विषय में तो अधिक क्या कहूँ इसकी गतिविधियो से सारा समाज परिचित है ही, तीर्थ क्षेत्रो का जीर्णोद्धार एव उनका सर्वेक्षण तो इस ट्रस्ट के माध्यम से हुआ ही है। इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है श्री टोडरमल दि० जैन सिद्धान्त महाविद्यालय जिसके माध्यम से सैकडो विद्वान जैन समाज को मिले है और निरन्तर मिल रहे है। साहित्य प्रकाशन एव प्रचार विभाग के माध्यम से भी अनुकरणीय कार्य इस ट्रस्ट द्वारा हो रहा है। आचार्य कुन्दकुन्द के पचपरमागम समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, अष्टपाहड़ तथा पचास्तिकाय जैसे महत्वपूर्ण ग्रन्थो का प्रकाशन तो इस विभाग द्वारा हुमा ही है साथ ही-मोक्षशास्त्र, मोक्षमार्ग प्रकाशक, श्रावकधर्म प्रकाशक, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, ज्ञान स्वभाव-ज्ञेयस्वभाव, छहढाला, समयसार-नाटक, चिद्विलास आदि का भी प्रकाशन इस विभाग ने किया है। प्रचार कार्य को भी गति देने के लिए पाच विद्वान नियुक्त किये गए है जो गॉव-गॉव जाकर विभिन्न माध्यमो से तत्त्वप्रचार मे रत है। इस अनुपम ग्रन्थ के माध्यम से आप अपना आत्म कल्याण कर भव का अभाव करे ऐसी मगल कामना के साथ - नेमीचन्द पाटनी 2 श्री कुन्दकुन्द कहान दि० जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित FARREDITERESTERDISTRIDE महत्त्वपूर्ण साहित्य Maraune समयसार २००० रु. १०. श्रावकधर्म प्रकाश ५५० रु. २. प्रवचनसार १६०० रु. ११ पुरुषार्थ सिद्धयुपाय ६.०० रु. । ३. नियमसार १५०० रु. १२ चिविलास २५० । ४. अष्टपाहुड १६०० रु १३. भक्तामर प्रवचन ४.५० ५ पचास्तिकाय सग्रह १००० रु. १४. वीतराग-विज्ञान भाग-४ । ५०० ६. मोक्षशास्त्र २००० रु (छहढाला प्रवचन) ७ मोक्षमार्ग प्रकाशक १००० रु १५ ज्ञानस्वभाव-ज्ञेयस्वभाव १२०० रु ८. समयसार नाटक १५०० रु. १६. युगपुरुष कानजी स्वामी ६. छहढाला Gधनत्रय प्रसधाखबत्रखत्रबधबधबखनबबलचल

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