Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ श्रीसमवायाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 3 // श्रीमत्समवायाङ्ग सूत्रस्य विषया नुक्रमः क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः स्थिति-श्रीकान्तादिस्थित्यादि। 14 45-49 शुक्रचार्यनक्षत्र-कला-ऽगारवासिजिनपरमाधार्मिक-नम्युच्चत्वा-ऽऽवार्य-मोच्यभाग रत्नप्रभादिस्थित्यानतादिस्थित्यादीनि। 1963-65 पञ्चदशमुहूर्त्तनक्षत्र-चैत्राश्विनदिवसरात्रिमुहूर्त असमाधिस्थान-सुव्रतोच्चत्व-घनोदविद्याप्रवादस्तु-मनुष्यप्रयोग-रत्नप्रभादिस्थिति धिबाहल्य-प्राणतसामानिक-नपुंसकवेदस्थितिनन्दादिस्थित्यादीनि। 49-54 प्रत्याख्यानवस्तूत्सर्पिण्यवसर्पिणीकालमान१६. गाथाषोडशकाध्ययन-कषाय-मेरुनाम रत्नप्रभादिस्थिति-सातादिस्थित्यादीनि / 20 पाश्रमणा-ऽऽत्मप्रवादवस्तु-चमरबल्युपरि 21. शबलभेद-निवृत्तिबादरमोहनीयकालयनायामलवणोत्सेध-रत्नप्रभादि सत्कर्माश-पञ्चम-षष्ठारकमान-रत्नप्रभादिस्थितिस्थित्यावर्त्तादिस्थित्यादीनि। 16 54-56 श्रीवत्सादिस्थित्यादीनि। 21 68-70 17. असंयम-संयम-मानुषोत्तरवेलन्धरा 22. परीषह-च्छिन्नाछेदनकादिसूत्रनुवेलन्धरावास-लवणोच्चत्व-चारणोत्पात पुद्गलपरिणामरत्नप्रभादिस्थितितिगिञ्छि-रुचकेन्द्रोच्चत्वा-ऽऽवीच्यादि महितादिस्थित्यादीनि। 22 मरणभेद-सूक्ष्मसम्परायबध्यप्रकृति-रत्नप्रभादि 23. सूत्रकृदध्ययन-त्रयोविंशतिजिनज्ञानकालस्थिति-समानादिस्थित्यादीनि। 17 56-61 पूर्वभवैकादशाङ्गित्व- मण्डलिकराजत्वब्रह्मचर्य-नेमिश्रमण-व्रतषट्कादिस्थाना ऋषभचतुर्दशपूर्वि-रत्नप्रभादिस्थितिऽऽचाराङ्गपद-ब्राह्मीलेखविधानाऽस्तिनास्ति ग्रैवेयकस्थित्यादीनि। वस्तु-धूमप्रभाबाहल्य-पौषाषाढदिवसरात्रिमुहूर्त देवाधिदेव-हिमवच्छिखरिजीवा-सेन्द्ररत्नप्रभादिस्थिति-कालादिस्थित्यादीनि / 1861-63 देवस्थानोत्तरायण-पौरुषीछाया-गङ्गासिन्ध्वादि१९. ज्ञाताध्ययन-सूर्यतापा-ऽपरोदित प्रवाह-रत्नप्रभादिस्थित्यादीनि। 24 75-76

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 300