Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 20
________________ श्रीसमवायाङ्गं श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 11 // - - - 145 क्रमः विषयः सूत्रम् 139. समवायाङ्गाधिकारः। 140. व्याख्याप्रज्ञप्त्यधिकारः। 140 141. ज्ञाताधर्मकथाङ्गाधिकारः। 141 142. उपासकदशाङ्गाधिकारः। 143. अन्तकृद्दशाङ्गाधिकारः। 144. अनुत्तरौपपातिकाधिकारः / 145. प्रश्नव्याकरणाधिकारः। 146. विपाकश्रुताधिकारः। 146 147. दृष्टिवादाधिकारः। 147 148. द्वादशाङ्गीविराधनाराधनाफलतन्नित्यत्व-विषयाः। 148 149. जीवाजीवादिराशिनिरूपणं नरका वगाह-नरकावास-वेदनिरूपणं च। 150. असुरकुमार-वैमानिकावासनिरूपणम्। 150 151. नारकादिस्थितिः। 152. शरीर-तद्भेदावगाहस्वामिनः / 152 153. भवप्रत्यययिकावधि-वेदना-लेश्याऽऽहाराः। 153 154. आयुर्बन्धोपपातादिविरहायुराकर्षाः। 154 पृष्ठः क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः 197-200 155. संहनन-संस्थानानि / 155 260-262 200-203 156. वेदाधिकारः।। 156 203-208/157. कल्पसमवसरणम्, कुलकर-तद्धार्याः, 209-211 जिन-पितृ-मातृ-तीर्थकर-तत्पूर्वभव२११-२१३ शिबिकानिष्क्रमणोपधि-परिवार-तपो२१३-२१६ भिक्षा-भिक्षादायक-चैत्यवृक्ष२१६-२१९ प्रथमशिष्य-शिष्याः। 157 219-224 158. चक्रवर्तिपितृ-मातृ-स्त्रीरत्न-बलदेव२२४-२३१ वासुदेव-पितृ-मातृ-नाम-दशार मण्डलवर्णन-पूर्वभवनाम-धर्माचार्य२३१-२३३ निदान-भूमि-प्रतिशत्रवः। 158 265-267 159 ऐरावततीर्थकरोत्सर्पिणीभरतकुल२३३-२३८ कर-तीर्थकराः। 159 267-270 238-245 - व्याख्या। 0-278 245-247 - प्रशस्तिः / -280 247-254 254-257 // इति श्रीमत्समवायाङ्गसूत्रस्यसूत्रस्यानुक्रमः / / 257-260 149 151

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