Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ श्रीसमवाया श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 4 // श्रीमत्समवायाङ्गसूत्रस्य विषया नुक्रमः 32 क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः / क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः 25. महाव्रतभावना-मल्लिवैताढ्योच्चत्व सामानिक-पार्श्ववीरागारवासशर्कराप्रभा-नरकावासा-ऽऽचाराध्ययन रत्नप्रभानरकावास-स्थित्यादीनि। 3088-98 मिथ्यादृष्टिबध्यप्रकृति-गङ्गादिप्रपात-लोक 31. सिद्धादिगुणाः, मन्दरधरणीविष्कम्भः, बिन्दुवस्तु-रत्नप्रभादिस्थित्यादीनि। 25 76-79 सूर्यबाह्यमण्डलचक्षुःस्पर्शाऽभिवर्द्धितादशाकल्पव्यवहारोद्देशा-ऽभव्यसिद्धिमोह दित्यमासदिनरत्नप्रभास्थित्यादीनि। 31 सत्कर्मांश-रत्नप्रभादिस्थित्यादीनि। 26 79-80 32. योगसंग्रह-देवेन्द्र-कुन्थुकेवलिअनगारगुण-व्यवहार्यनक्षत्र-नक्षत्रमास सौधर्मविमान-रेवती-तारक-नाट्यरात्रिंदिव-सौधर्मेशानविमानपृथ्वीबाहल्य रत्नप्रभास्थित्यादीनि। 100-103 वेदकसम्यक्त्वबन्धोपरतसत्कर्मांशप्रकृति 33. आशातना-चमरचञ्चाभौम-विदेहविष्कम्भश्रावणशुक्लसप्तमीपौरुषीछाया-रत्नप्रभादि बाह्यान्तरचक्षुःस्पर्श-रत्नप्रभास्थित्यादीनि / 33 103 स्थित्यादीनि। 80-82 - 34. जिनातिशय-विजयदीर्घवैताढ्योत्कृष्टआचारप्रकल्प-भव्यमोहसत्कर्माश पदजिनचमरभवन-प्रथमपृथ्व्यादिमतिभेदेशानविमान-देवगत्यादिप्रकृति नरकावासाः। 34 106-110 रत्नप्रभादिस्थित्यादीनि।। 2882-85 वचनगुण-कुन्थु-दत्त-नन्दनोच्चत्व-वज्रमयसमुद्रकपापश्रुतप्रसंगा-ऽऽषाढादिदिन-चन्द्र स्थान-द्वितीयचतुर्थपृथिवीनरकाः। 351 दिनमुहूर्त-तीर्थकृदादिप्रकृतिरत्न 36. उत्तराध्ययन-चमरसमोच्चत्व-वीरार्याप्रभादिस्थित्यादीनि। 85-87 चैत्राश्विनपौरुषीच्छाया:। 36 मोहनीयस्थान-मण्डितश्रामण्या 37. कुन्थुगणधर-हैमवतादिजीवा-विजयादिराजधानीऽहोरात्रमुहूर्त्तनामा-उरोच्चत्व-सहस्रार प्राकारोच्चत्व-क्षुद्रविमानप्रविभक्तिप्रथमवर्गोद्देशन // 4 // 30.

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