Book Title: Sammedshikhar Mahatmya
Author(s): Devdatt Yativar, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 2
________________ सम्पादकीय वीसंतु जिण वरिंदा, अमरासुर इंदिदा धुदकिलेसा । सम्मेदे गिरि सिहरे, णिहाण गया णमो तेसिं ।। चला जा रहा तीर्थक्षेत्र में अपनाए भगवान् को । सुन्दरता की खोज में मैं अपनाए भगवान् को ।। तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा भक्त जीवन की एक अभिलाषा हं 1 4 स्थान अनेक कलात्मक मन्दिर मूर्तियाँ आदि जीवन्त स्मारक हैं। मुक्तात्माओं के, महापुरुषों, के धार्मिक तथा स्मरणीय घटनाओं की यात्रा पुण्यवर्धक और आत्मशोधक होती है। यह एक सचाई है जिसका समर्थन तीर्थयात्रियों द्वारा वहाँ बिताये जीवन से होता है। संसार से घबराये, परिवार की झंझटों से क्लेशित समाज के थपेड़ों से दुःखित आधि व्याधियों से पीड़ित मनुष्य के लिए तीर्थक्षेत्र अमोघ रसायन है । पाप मैल को धोने के लिए ये निर्मल झरने के समान हैं। तीर्थक्षेत्र निर्वाण भूमि के स्पर्श मात्र से संसार ताप शान्त हो जाता है । दुःखी प्राणी को अपूर्व उल्लास प्राप्त होता है । अशुभ विचारों का नाश हो जाता है भवबर्द्विनी भावना भव नाशिनी हो जाती है। परिणाम निर्मल ज्ञान उज्ज्वल, बुद्धि स्थिर, मस्तिष्क शान्त और मन पवित्र हो जाता है । भारतवर्ष तीर्थक्षेत्रों का जनक है यदा यदा यान्ति नराहि तीर्थ, रुन्यन्ति पापानि बदन्ति चैव । आहो मनुष्या अधमा ही नित्यं, स्वयं समुत्पाद्य निहन्तु कामाः ।। अर्थात् तीर्थक्षेत्रों के दर्शन मात्र से पूर्ववद्ध पाप अशुभ कर्म को नष्ट करते हैं । समी क्षेत्रों का प्रभाव अचिंत्य होता है किन्तु दिगम्बर तीर्थराज सम्मेदशिखर, सिद्धभूमि का अलौकिक माहात्म्य है। तीर्थ मान्यता प्रत्येक धर्म और सम्प्रदाय में तीर्थों का प्रवचन है । हर सम्प्रदाय के अपने तीर्थ है जो उनके किसी महापुरुष एवं उनकी किसी महत्वपूर्ण घटना के स्मारक होते हैं। प्रत्येक धर्म के अनुयायी अपने तीर्थों की यात्रा और वंदना के लिए बड़े भक्तिभाव से जाते हैं और आत्मशान्ति प्राप्त करते हैं। तीर्थस्थान पवित्रता, शान्ति और कल्याण के धाम माने जाते हैं। जैन-धर्म में भी तीर्थ का विशेष महत्व रहा है। जैनधर्म के अनुयायी प्रति वर्ष बड़ी श्रद्धाभक्तिपूर्वक अपने तीर्थों की याश करते हैं। उनका विश्वास है कि तीर्थयात्रा से पुण्य संचय होता है। और परम्परा से मुक्ति लाभ की प्राप्ति होती है । इसी विश्वास के कारण दृद्ध. स्त्री,

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