Book Title: Sambodhi 2009 Vol 32
Author(s): J B Shah, K M patel
Publisher: L D Indology Ahmedabad
________________
162
રસિલા કડીઆ
SAMBODHI
१४. क्रतं तस्य विक्रतं । तस्य विक्रत खतपत्रममिलिक्षते । अग्रे ग्राहक नाम । खरीदार वणीक श्रीश्रीश्रीश्रीश्री
श्रीमाल ज्ञा१५. तीय वृधि शारवाया साह अमरदत्त बिन साह सोमकर्ण बीन सांतीदास । ते साह अमरदत्त पारस्यात्
घरनी वेचना - १६. र पोतानी स्वज्ञातीय । बाई कल्याणबाई बिन साह वाघा बिन साह मूलजी । ते बाइ कल्याण बाइ
सा शयजिनि भांजी - १७. ते थाइ कल्यामबाइ हस्ताक्षरांणं दातव्यं । जत घर १ एक पश्चभामिमूखनू छि । ते घर मधे ओरडो
मेडी सहीत उ - १८. त्तराभिमूखनो छि । ते ओरडा आगल पटसालि उत्तराभिमूखनी छि । ते आगल्य चोअगासो चोरसाबध
छि। १९. ते चोक मधे उदकस्थांनक तथा रसवतिस्थांनक पश्र्वभाभिमूखनां छि। ते उदकस्थांन मधे जल भरवा - २०. नां घडा छि । तथा चोक मध (धे) उदक भरवानां घडां छि । तथा चोक मधे छीडी छि । ते छिडी
मधे ओरडो एक पश्र्व - २१. माभिमुखनो छि । ते आगल्य छूट परसालि छि । तथा ए चोक आगल्य वडि खडकी मेडी सहीत
पश्र्वभाभिमू - २२. खनी छि । ते मधे छजानू द्वार पश्र्वमाभिमुखनूं छि । ते ठांम्य छजू जडीत्र छि । तथा ए चोक मधे
बिजू घर उ - २३. त्तराभिमूखनु । पासे बिजी खडकि छि । ते मधे ए घरनी ओरडी छि ते ओरडी मधे जावा आववानू
छि । ते ओ २४. रडी एक ष (ख)डनी । पश्र्वमाभिमूखनि छि। ते ए घर साथि ओरडी छि । तथा ए आ (ओ)रडीने ___पासि वाडो साध्यसमंधनो छि ||२५. एवं विधि । ए घरना खूट । पूरव दिशि । साह रतन बिन साह पनी बिन साह लहुआनू घर छि।
वच्यली भीत २६. साध्य छि । बाकी खूट वाडानि साध्य छि। पश्चम दिशि धर्मशाला छि । तथा ए घरनो चाल छि।
नीकाल छि त[था] २७. नेव छि । दक्षणदिशि पोल्यना लोकनो चाल छि । तथा नेव छ । तथा....... छि । तथा उत्तर दिशि
सा२८. ह रतनजि बिन पनिआनू घर छि । ते दिशि पाडा पर्जत ए घरना नेवनू पाणी उत्त(त)रे छि । तथा
द्वार छि । ए -
Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190