Book Title: Samayprabhrut
Author(s): Kundkundacharya, 
Publisher: Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi

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Page 2
________________ + + + + 도 55 5 5 55 + प्रकाशकीय + + + + संसार में तीर्थकरों का सर्वोच्च पद है और उसकी प्राप्ति में सोलह कारण भावनाओं का भाना परम निमित्त है। इन सोलह कारण भावनाओं में एक भावना अभीक्षण-ज्ञानोपयोग भावना है। अभीक्षण-ज्ञानोपयोग का भाव निरन्तर झानाराधन करना है और वह ज्ञानाराधन जिनवाणी के पठन-पाठन-श्रवण, चिन्तन और मनन से होता है। मेरी भावना ऐसी बनी कि जिनवाणी की प्रभावना भव्य जीवों को हितकारी है और इसीलिए मेरे पूज्य पिता श्री मुसद्दीलाल जी की स्मृति में स्थापित "श्री मुसद्दीलाल जैन चेरीटेबल ट्रस्ट" का उपयोग अन्य परमार्थिक कार्यों के अतिरिक्त जिनवाणी प्रकाशन में प्रमुखता से किया जाए। ट्रस्ट से निम्न ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ है:-- + + + + + १- प्रमेयकमलमार्तण्ड प्रथम माग२- मोक्ष मार्ग प्रकाशक३- योगसार योगीन्दु आचार्य ४-समयसार सटीक ११०० प्रतियां ११०० प्रतियां ११०० प्रतिया ११०० प्रतियां (प्रस्तुत) + फ्र + फ़

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