Book Title: Saman Diksha Ek Parichay Author(s): Sanmatishree Samni Publisher: Jain Vishva BharatiPage 35
________________ ३४ समण दीक्षा : एक परिचय भी चलता है। राणावास, पाली, गंगापुर आदि इसके मुख्य केन्द्र हैं। ये महाविद्यालय प्रतिवर्ष एक निश्चित समय के लिए समण/समणीवन्द को आमंत्रित करते हैं। जैन दर्शन तथा जीवन विज्ञान विषय के अधिकृत समण/समणी वहां जाकर अपनी सेवाएं देते हैं। ___ पारमार्थिक शिक्षण संस्था के अन्तर्गत ब्राह्मीविद्यापीठ में स्नातक (बी.ए.) तक का पाठयक्रम चलता है। ब्राह्मीविद्यापीठ मुमुक्षु बहिनों का शिक्षण संस्थान है। उस कॉलेज में समणीवृन्द वर्षों से अध्यापन कार्य कर रहा है। जैन-विद्या, जैन-दर्शन, प्राकृतव्याकरण और साहित्य, संस्कृत व्याकरण, संस्कृत-साहित्य, जीवन विज्ञान आदि विषयों के अध्यापन का दायित्व समणश्रेणी पर है। विश्वविद्यालय समणी वर्ग जहां विद्यालयों, महाविद्यालयों में अध्यापन रत हैं, वहां विश्वविद्यालय को भी वे अपनी सेवाएं दे रही हैं। वर्तमान में जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्व विद्यालय में चार विभाग है-जैनदर्शन और तुलनात्मक दर्शन, प्राकृत-भाषा और साहित्य, अहिंसा-शांति एवं अणुव्रत तथा जीवन विज्ञान । प्रयेत्क विभाग में दो-दो समणी व्याख्याता के रूप में अध्यापन कार्य करती हैं। ___अध्यापन चाहे प्राथमिक स्कूलों में हो, कॉलेज अथवा युनिवर्सिटी में हो, लाडनूं में हो अथवा कहीं अन्यत्र, सर्वत्र निःशुल्क किया जाता है। क्योंकि शुल्क का प्रश्न वहां उठता है, जहां शिक्षा आजीविका के साथ जुडी होती है। यहां अध्यापन कार्य आत्मधर्म समझ कर किया जाता है। प्रौढ शिक्षा . भारत सरकार द्वारा लाडनूं तहसील को साक्षर बनाने का कार्य जैन विश्व भारती को दिया गया। उस अभियान के अन्तर्गत समणीवृन्द ने सम्पूर्ण लाडनूं तहसील के अन्तर्गत आने वाले गांवों का दौरा किया। एक-एक व्यक्ति से सम्पर्क कर, उन्हें शिक्षित (साक्षरता) होने के लिए तैयार किया तथा रात्रिकालीन कार्यक्रम आयोजित कर शिक्षा की उपयोगिता के साथ-साथ व्यसन मुक्ति, आहार शुद्धि तथा कुरुढ़ियों से मुक्त बनाने के लिए प्रेरित किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58