Book Title: Saman Diksha Ek Parichay
Author(s): Sanmatishree Samni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 54
________________ समण दीक्षा : एक परिचय ५३ वचन-अनुशासन के अतिचार * मौन का अभ्यास न किया हो। * मितभाषिता का अभ्यास न किया हो। * वाणी की प्रवृत्ति में संयम न बरता हो। तस्स. काय-अनुशासन के अतिचार * कायोत्सर्ग का अभ्यास न किया हो। * आसन आदि के द्वारा शरीर को न साधा हो। * काया की प्रवृत्ति में संयम न बरता हो। तस्स" शांत-सहवास के अतिचार * उपशान्त कलह की उदीरणा की हो। * अपनी भूल को दूसरों पर थोपने का प्रयत्न किया हो। * किसी के प्रमाद की यत्र-तत्र चर्चा की हो। * बहुत लम्बे समय के बाद किसी का दोष जताया हो। * आक्षेपात्मक आलोचना की हो। तस्स" गमन-विवेक के अतिचार * अनावश्यक गमन किया हो। * चलते समय भावक्रिया का अभ्यास न किया हो। तस्स" भाषा-विवेक के अतिचार * कटु शब्दों का प्रयोग किया हो, * वाणी मे मधुरता का अभ्यास न किया हो। तस्स" आहार-विवेक के अतिचार___ * असंतुलित आहार किया हो। * ऊनोदरी का अभ्यास न किया हो। * गरिष्ठ भोजन वा अन्य किसी वस्तु के प्रति आकर्षण का भाव आया हो। तस्स. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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