Book Title: Saman Diksha Ek Parichay
Author(s): Sanmatishree Samni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 44
________________ 'समर्पण-शब्दावलि' वन्दे आचार्यवरं हाथ जोड़ अर्ज करूं मैं एवं सहवर्ती सभी समणीजी श्री चरणों में उपस्थित हैं। जहां नियोजित करें वहां सहर्ष रहने का भाव है। ५६ समण दीक्षा : एक परिचय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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