Book Title: Saman Diksha Ek Parichay Author(s): Sanmatishree Samni Publisher: Jain Vishva BharatiPage 46
________________ संकल्प-पत्र मैं श्रमण भगवान् महावीर तथा उनके निर्ग्रन्थ प्रवचन में श्रद्धा, प्रतीति और रुचि व्यक्त करता करती हूं तथा सविनय बद्धाञ्जलि यह संकल्प स्वीकार करता/करती हूं कि श्री भिक्षु, भारीमाल आदि पूर्वज आचार्य, शासन नियन्ता गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी तथा वर्तमान आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा प्रदत्त अनुशासन मुझे मान्य है। ____ गुरुदेव! आप संघ के प्राण हैं, श्रमण-परम्परा के अधिनेता हैं, आप पर मुझे पूर्ण श्रद्धा है। १. मैं आपके अनुशासन का अतिक्रमण नहीं करूंगा/करूंगी २. मैं अपने अपनी नियोजक/नियोजिका के अनुशासन का भी अतिक्रमण नहीं करूंगा/करूंगी। ३. मैं समण-श्रेणी के सामायिक का आत्म-साक्षी से अनुशीलन करूंगा/करूंगी। ___४. मैं मुनि संघ के प्रति पूर्ण निष्ठावान् तथा विनम्र रहूंगा रहूंगी। ५. मैं समण-श्रेणी में दीक्षित सभी समण-समणियों के प्रति सम बरताव करूंगा करूंगी। किसी को अपना बनाने का प्रयत्न.नहीं करूंगा/करूंगी। ६. मैं अपने से बड़ों के प्रति विनम्र रहूंगा/रहूंगी तथा छोटों के प्रति उदार रहूंगा/रहूंगी। ७. मैं प्रवास और यात्रा में आपकी दृष्टि का अनुसरण करूंगा/करूंगी। ८. मैं अपनी इच्छा से किसी को समण-श्रेणी में सम्मिलित नहीं करूंगा करूंगी। ६. मैं किसी भी साधर्मिक की उतरती बात नहीं करूंगा/करूंगी। १०. किसी में दोप जान पड़ेगा तो मैं उसे या सम्वद्ध अधिकारी को, बताऊंगा बताऊंगी। अन्यत्र उसकी चर्चा नहीं करूंगा करूंगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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