Book Title: Sadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Author(s): Sirsala Jain Pathshala, 
Publisher: Sirsala Jain Pathshala

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Page 9
________________ माधु ॥ श्री परमात्मने नमः ॥ प्रति अर्थः ॥१॥ ॥ साधुसाध्वी योग्य प्रतिक्रमण क्रियाना सूत्रो. ॥ (अर्थ सहित) ॥ ननमःसिई ॥ नमो अरिहंताणं । नमो सिक्षाणं । नमो आयरियाणं । नमो नवजायाणं । नमो लोए सबसाइणं । एसो पंच नमुक्कारो । सबपावप्पणासणो । मंगलाणं च सवर्सि। पढमं हवा मंगलं ॥ अर्थः- (अरिहंता के ) अरिहंतप्रते एटले कर्मोरूपी शत्रुनने जीतनारा एवा श्री अरिहंतप्रभुप्रते ( नमो के0) नमः, एटले नमस्कार थान ? वळी (सिहाणं के ) सिझोपते एटले आठ गुणोयें करी विराजमान सिह महाराजोपते ( नमो के०) नमः, एटले नमस्कार थान ? वळी (आयरियाणं के0) आचार्य महाराजोमते एटले बत्रीस गुणोयें करी विराजमान एवा श्री आचार्य महाराजोप्रते ( नमो के0 ) नमः, एटले नमस्कार थान ? वळी (नवडायाणं के0 ) नपाध्यायोमते एटले प. चीस गुणोने धरनारा एवा श्री नपाध्यायजी महाराजोप्रते (नमो के०) नमः, एटले नमस्कार थान ? बळी (लोए के०) लोके, एटले आ लोकमां रहेला ( सवसाहणं के०) सर्व साधुनने एटले सत्तावीस गुणोयें करी शोजता एवा सर्व साधुमहाराजो प्रते ( नमो के0 ) नमः, एटले नमस्कार थान ? ( एसो के ) एषः, एटले ए (पंच के ) पांचे ( नमुक्कारो के0 ) नमस्कारो डे ते, (सबपावप्पणासणो के०) सर्व पापोने नाश करनारा ले (च के० ) वळी ते (सन्वेसि के०) सर्वेषां, एटले सर्व (मंगलाणं के ) मंगलानां, एटले मंगलिकोमा (पढम के) प्रथम, एटले प्रथम (मंगलं के०) मंगल एटले मंगलरूप ( हवा के०) || जवति, एटले ले. अर्थात् ए नवकारमंत्र सर्व मंगलोमां पेहेलुं मंगलरूप ले.॥ ॥१॥ श्री करेमिन्नते ॥ Jain Education Intematonal For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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