Book Title: Sadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Author(s): Sirsala Jain Pathshala, 
Publisher: Sirsala Jain Pathshala

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Page 8
________________ सूत्र आचार्यजीह ते स्तोत्रनी बे गायाने गोपवी राखी, के जेयी अद्यापिपर्यंत ते स्तोत्र त्रीश गायानन विद्यगन बे. ते श्री स्तंज || प्रति || नपार्श्वनाथजीनी प्रतिमा हाल पण खंजातमा विद्यमान बे. ते प्रतिमाना आसननी पाबळ एवी रीतनो लेख कोतरवामां आ-|| व्यो बे के, आ प्रतिमा गोम नामना श्रावके श्री नमिनाथपभुजीना शासनमां श्श्श्श् में वर्षे करावी बे. एवी रीते श्री जैनशासननी प्रजावना करीने श्री अजयदेवमूरिजी विक्रम संवत ११३५ मां (बीजा मत प्रमाणे विक्रम संवत ११३ मां) गुजरा. तमां आवेला कपमवंज नामना गाममा देवलोक पाम्या. तेमणे नवे अंगोनी टीका नपरांत हरिजमूरिजीना बनावेला पंचासकपर संवत ११२५ मां धोळकायां रहीने टीका बनावी; तेम जयतिहुअण स्तोत्र, जिनचं गणिए बनावेला नवतत्व प्रकरणनी टीका, निगोदनिशिका, पंचनिग्रंथविचारसंग्रहणी, पुलपति शका, जननगणना विशेषावश्यक जाष्यप इमरिजोना पोमशकपर टीका, तथा देवेंऽमूरिए करेला शतारी प्रकरणपर गायाबंध टीका विगरे अनेक शाखो रचेला बे. आ पुस्तकमाटे श्रयेलु खरच. रू. १५० फारम सामीबेतालीसनी नपामणी, कागळो तया ज्ञापांतरना. रू. ७५ पाटीचं, वधारानुं खरच, तथा इनाम. रू. ५ खलेची मंग एकहजारना पटी सहित. रू. १०१ टपालखर्च, रेलखर्च विगेरेना. कुल रु. १००१ न For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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