Book Title: Sadhu Pratikraman Sutrani Tatha Sadhu Vidhi Prakash
Author(s): Kshamakalyan Upadhyay
Publisher: Govindjibhai Harshi Punshi

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir तं महामुणिमहं पि पंजली, राग-दोस भयं मोहवज्जियं । देव-दानव नरिंदवंदिअं संतिमुत्तममहातवं नमे ॥ २५ ॥ वित्तयं ॥ अंबरंतरविआरणिआहिं ललिअहंसबहुगामणिआहिं । पीणसोणित्थणसालिणिआहिं सकलकमलदललोयणिआहिं ॥ २६ ॥ दीवयं ॥ पीण- निरंतरथण भरविणमियगायलयाहिं, मणि-कंचणपसिद्विल-मेहलसोहिअसोणिताहि । बरखिंखिणि नेऊर-सतिलय-बलयविभूसणिआहिं, रह्करचउरमणोहर-सुंदरदंसणिया हिं ।। २७ ।। चित्तक्खरा ॥ देवसुंदरीहिं पायबंदिआहिं बंदिआ य जस्स ते सुविकमा कमा अप्पणो निडालएहि मंडणोणपगारएहिं केहिं केहिं वी अवंग-तिलय- पत्तलेहनामहिं चिल्लएहिं संगयं गयाहिं । भत्तिसन्निधि बंदणागयाहिं हुंति ते बंदिया पुणो पुणो ॥ २८ ॥ नारायओ ।। तमहं जिणचंद अजिअं जियमोहं । धुयसव्वकिलेसं पयओ पणमामि ।। २९ ।। नंदिययं । शुअवंदिअस्सा रिसिंगण देवगणेहिं तो देववहुहिं पयओ पणमियस्सा । जस्स जगुतमसासणअस्सा भक्तिवसागयपिंडियआहिं । देववरच्छरसा बहुआहिं सुरवररइगुणपिंडियआहिं ॥ ३० ॥ भासुरयं ॥ वंससद-तंतितालमेलिए, तिउक्खराभिरामसहमीसए कए अ, सुइसमाणणे य सुद्ध-सजगीयपायजालघंटियाहिं । वलय-मेहलाकलाब - नेउराभिरामसद्दमीसए कए य ॥ देवनहिआहिं हाव-भाव-विन्भमप्पगारएहिं नचिऊण अंगहारएहिं बंदिआ य जस्स ते सुविकमा कमा तयं तिलोयसव्वसत्तसंतिकारयं । पसंतसव्वपाव-दोस मेसहं नमामि संतिमुत्तिमं जिणं ॥ ३१ ॥ नारायओ ।। छत्त चामर-पडाग-जूअ - जवमंडिया For Private And Personal Use Only

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