Book Title: Sadhu Pratikraman Sutrani Tatha Sadhu Vidhi Prakash
Author(s): Kshamakalyan Upadhyay
Publisher: Govindjibhai Harshi Punshi

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Page 42
________________ SAIL.Mahavir.jain ArmdhanaKendra www.kobatirtm.org Achery Shri Kassan Gyaandir साधुसाध्वी ॥२०॥ 404441404 झयवर-मगर-तुरग-सिरिवच्छसुलंछणा ॥ दीव-समुद्द-मंदिर-दिसागयसोहिया सत्थिय-वसह-सीह-रह-चक्कवरं- प्रतिक्रमण किया (सिरिवच्छसुलंछणा)॥३२॥ ललिअयं ॥ सहावलट्ठा समइप्पइट्टा, अदोसदुट्टा गुणेहिं जिट्ठा। पसायसिट्ठा तयेणपुट्ठा, सिरिहिं इट्टा रिसीहिं जुट्टा ॥३॥वाणवासिया॥ते तवेण धुअसव्वपावया, सव्वलोगहियमूलपावया ।। संथुया अजिअ-संति पायया हुंतु मे सिवसुहाण दायया ॥ ३४ ॥ अपरांतिका ॥ एवं तब-बलविउलं थुअंमए| अजिअ-संतिजिणजुअलं। ववगयकम्मरयमलं, गई गयं सासयं विउलं ॥३५॥गाहा ॥ तं बहुगुणप्पसायं, मुक्खसु. हेण परमेण अविसायं । नासेउ मे विसायं कुणउ अ परिसावि य पसायं ॥३६॥ गाहा ॥ तं मोएउ अनंदि पावेउ अनंदिसेणम-भिनंदि। परिसा वि असुहनंदि, मम य दिसउ संजमे नंदि॥३७॥गाहा। पक्खिय-चाउम्मासियसंवच्छरिए अवस्स भणियब्बो। सोअब्बो सब्बेहिं, उवसग्गनिवारणो एसो॥३८॥जो पढइ जो अनिसुणइ, उभओ | कालंपि । अजिय-संतिथयं नहु हुंति तस्स रोगा पुचुप्पुन्ना विणासंति ॥३९॥ जइ इच्छह परमपयं अहवा कित्ति सुवित्थडां भुवणे । ता तिल्लुफुधरणे जिणवयणे आयरं कुणह ॥ ४०॥ इति अजितशान्तिस्तवनं संपूर्णम् ॥ ॥ अथ जयतिहअणस्तोत्रम् ॥ IC॥ २०॥ जय तिहुअणवरकप्परक्ख! जय जिण ! धनंतरि!, जय तिहुअणकल्लाणकोस! दुरिअकरिकेसरि! ॥ तिहु अणजणअविलंधिआण! भुवणत्तयसामिअ., कुणमु सुहाई जिणेस! पास! धंभणयपुरहिअ! ॥१॥ तई For Private And Pamonal Use Only

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