Book Title: Sadhu Pratikraman Sutrani Tatha Sadhu Vidhi Prakash
Author(s): Kshamakalyan Upadhyay
Publisher: Govindjibhai Harshi Punshi
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SAL.MahanrJanArachanaKendra
Acharya S
assagaun Gyanmand
साधुसाध्वी
प्रतिक्रमण
सूत्र.
काम-स्थकाम नर नियनिपसस्थिहि ॥ जं ज्झायइ बहुदरिसणध बहुनामपसिद्धा, सो जोहअमणकमलभसल
सुह पास पबद्ध ॥९॥ भयविन्भलरणजणिरदसण धरहरिअसरीरय, तरलिअनयण विसुण्ण सुण्ण गग्गिर॥२१॥ IN गिर करुणय ॥ तई सहसत्ति सरंति हुंति नर नासिअ-गुरुदर, मह विज्झवि सज्झसइ पास! भयपंजरकु
जर ! ॥१०॥ पई पास वि विअसंतनित्तपत्रांतपवित्तिय-बाहपवाहपवूतरूतदुह-दाह सुपुलइय ॥ मण्णइ मण्णु स|उण्णु पुण्णु अप्पाणं सुर-नर, इय तिहुअणआणंदचंद! जय पास जिणेसर! ॥११॥ तुह कल्लाणमहेसु घंटटंकारव| पिल्लिअ, वल्लिरमल्ल महल्लभत्ति सुरवर गंजुल्लिअ ॥ हल्लुप्फलिअ पवत्तयंति भवणेहि महसव, इय तिहुअण
आणंदचंद! जय पास सुहब्भव ॥१२॥ निम्मलकेवल किरणनियरविहुरिअतमपहयर, दंसिअसयलपयत्थसत्थ AI वित्थरिअ पहाभर! ॥ कलिकलुसिअजणघूअलोयलोयणह अगोयर ! तिमिरह निरुहय पासनाह! भुवणत्तय-IN
दिणयर! ॥१३॥ तुह समरणजलवरिससित्तमाणवमइ-मेइणि, अवरावरमुहुमत्थबोहकंदलदलरेहणि ॥ जायडू | फलभरभरिय हरिप दुहदाहअणोवम, इय महमेइणिवारिवाह दिस पास मई मम ॥१४॥ कय अविकलकल्लाणवल्लि | उल्लूरियदुहवणु, दाविअसग्ग-पवम्गमग्ग दुग्गइगमवारणुं ॥ जय जंतुहजणएण तुझं जंजणियहियावह, रम्म | धम्मु सो जयउ पास जय जंतुपिआमहु ॥ १५ ॥ भुवणा-रणनिवास दरिअ परदरिसणदेवय, जोइणि-पूअण|खित्तवाल-खुदासुर-पसुवय ।। तुह उत्तह-सुनट्ठ मुट्ठ अविसंटुलु चिट्ठहि, इस तिहुअणवणसीह पास! पावाद|
ICT॥ २१॥
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