Book Title: Sadhu Pratikraman Sutrani Tatha Sadhu Vidhi Prakash
Author(s): Kshamakalyan Upadhyay
Publisher: Govindjibhai Harshi Punshi
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Shun Mahavir Jain Aradhana Kondra
Acharya Sa Kasagar
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समरंत लहंति झत्ति वरपुत्त-कलत्तइ, धण्ण-सुबन्न-हिरणपुण्णजण मुंजइ रज्जइ । पिक्खा मुक्खं असंखसुक्खं तुह पास ! पसाइण, इप तिहुअणवरकप्परुक्ख ! सुक्खइ कुण मह जिण ॥ २॥ जरजजर परिजषणकपणनहुटु सुकुहिण, चक्खुक्खीण खएण्ण खुण नर सल्लिअ सूलिण || तुह जिण सरणरसापणेण लह हुंति पुण्णं | णव, जय धणंतरि पास ! मह वि तुहं रोगहरो भव ॥ ३ ॥ विजा-जोइस-मंत-तंत-सिद्धित अपयत्तिण, भुवणभुउ अहविहसिद्धि सिझर तुह नामिण ।। तुह नामिण अपवित्तओ वि जण होइ पवित्तओ, तं तिहुअणकल्लाणकोस तुह पास ! निरुत्तओ ॥४॥ खुद्दपवत्तइ मंत-तंत-जंताई विसुत्तइ, चर-थिरगरल-गहु-गखग्ग-रिउवग्ग विगंजइ ॥ दुत्थियसत्य अणत्थघत्थ नित्थारइ दयकरि, दुरिअईहरउ सुपासदेव! दुरिअकरिकेसरि ॥५॥तुह आणा धंभेड भीम-दपुडुरसुरवर-रक्खस-जक्ख-फर्णिदर्षिद-चोरा-उनल-जलहर ॥ जल-थलचारिरउद्द-खुपसु-जोइणि-जोइअ, इस तिहुअणअविलंघिआण जय पास! मुसामि! ॥ ६ ॥ पत्थिअ अत्थ अणस्थ तत्थ भत्तिभरनिन्भर, रोमंचंचिअचारुकायकिण्णर-नर-सुरवर ।। जसु सेवहि कमकमलजुअल पक्वालिअकलिमल, सो भुवणत्तपसामि पास ! मह मद्दउ रिउयल ।। ७॥ जय जोइअमणकमलभसल ! भ-IN पपंजरकुंजर, तिहुअणजणआणंदचंद ! भुवणत्तयदिणयर! ॥ जय मइमेइणिवारिवाह ! जय जंतुपिआमह, थंभणअहिअ! पासनाह ! नाहत्तण कुण मह ॥८॥ बहुविह वनु अवन्नु मुण्णु वण्णिओ छप्पणिहि मुक्ख-धम्म
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