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अभिस्वीकृति
आरम्भ में मैं, श्री बालचन्द जी सन्चेटी, एडवोकेट का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे जैन धर्म का परिचय दिया।
मैं आभारी हूँ, माननीय श्री बी दयानन्द सरस्वती जी, एम.ए., का, जिन्होंने केवल शिष्टता और परोपकार भाव से अत्यंत कम समय के भीतर इस पुस्तक का तेलुगु अनुवाद अंग्रेजी में किया । मैं उनके ज्ञान भन्डार को सादर नमस्कार, साधुवाद करते हुए उनके शिष्य मंडल में अपने आप को समर्पित करता हूँ।
मैं आभारी हूँ माननीय पंडित श्री वाई. सोमेश्वर शर्माजी एम.ए. साहित्य रत्न (हिन्दी) का, जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत समस्याओं के बावजूद तेलुगु रुपान्तर का अनुवाद हिन्दी में किया । मैं उनका सदैव आभारी हूँ कि उन्होंने बिना किसी लाभ के इस कार्य को स्वीकारा ।
इस पुस्तक के हिन्दी रुपान्तर में कुछ अध्याय के हिन्दी अनुवाद कार्य में सहायता देने के लिए मैं, श्रीमती गिरी कुमारी का भी आभारी हूँ।
मैं श्री बी. आजनेयुलु जी का आभारी हूँ जिन्होंने (मुख्य पृष्ठ सहित) सभी चित्र बनाए। उन्होने बहुत ही लगन से यह कार्य अपनी समस्याए तथा अन्य आपत्तियों के बावजूद स्वयम् ही सम्पूर्ण किया।
___ मैं आभारी हूँ श्रीमती पी. एस. लक्ष्मी, बी. एस.सी., एम. बी. ए. का, जिन्की सहायता के बिना मैं एक उत्तम व उत्कृष्ट चित्रकार नहीं ढूँड पाता।
मैं श्री मोहम्मद कमालुद्दीन, हिन्दी पंडित का आभारी हूँ जिनके अमूल्य सुझावों से उस पुस्तक को सरल बनाने में सहायता मिली।
मैं आभारी हूँ कुमारी एम. रमादेवी जी, श्री उषोदया ग्राफिक्स का जिन्होंने सतोष्जनक डी. टी. पी. कार्य किया।
श्री साई. रत्न प्रिटर्स के मालिक तथा स्टाफ का आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक को मुद्रित किया। श्री कुशल चन्दजी सिघंवी का उनकी सहायता के लिए मैं एक बार फिर से अपना आभार प्रकट करता हूँ।
अंत में मैं आभारी हूँ श्री कस्तूरचन्दजी एम. झाबक का जिन्होंने मुझे जैन धर्म के धार्मिक दृष्टिकोण से शिक्षा दी।
एम. सुब्बा राव
लेखक
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