Book Title: Sabhasyatattvarthadhigamsutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Khubchand Shastri
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 4
________________ प्रकाशकका निवेदन । वीरनिर्वाण सं० २४३२ सन् १९०६ ई० में सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र पं० ठाकुरप्रसादजी व्याकरणाचार्यकृत भाषाटीका सहित पहली बार प्रकाशित हुआ था, प्रथम संस्करण कभीका समाप्त हो गया था, ग्रंथकी हमेशह माँग रहनेसे, महत्त्वपूर्ण उपयोगी और पाठ्य-ग्रंथ होनेके कारण पुनः विस्तृत भाषाटीका सहित प्रगट किया है। प्रथम संस्करणसे यह संस्करण दुगुना बड़ा है । ग्रंथका प्रचार हो, इससे मूल्य भी बहुत ही कम रखा है। इस ग्रंथको दिगम्बर श्वेताम्बर दोनों ही सम्प्रदाय पूज्य मानते हैं। दोनों ही सम्प्रदायके आचार्योंने तत्त्वार्थसूत्रपर बड़े बड़े भाष्य-टीका-ग्रंथ लिखे हैं । ऐसी एक हिन्दी-टीकाकी जरूरत थी, जो महान् महान् टीका-ग्रंथोंका अध्ययन- मनन करके प्रचलित हिन्दीमें लिखी गई हो, और जिसमें पदार्थोंका विवेचन आधुनिक शैलीसे हो, इन ही सब बातोंपर लक्ष्य रखके यह टीका प्रकाशित की है । आशा है, पाठकोंको पसंद आयगी । भविष्यमें श्रीरायचन्द्रजैनशास्त्रमालामें उत्तमोत्तम नये ग्रंथ और जो ग्रंथ समाप्त हो गये हैं, तथा जो समाप्तप्राय हैं, उन्हें पुनः उत्तमता पूर्वक छपानेका विचार है । पाठकोंसे नम्र निवेदन है, वे शास्त्रमालाके ग्रंथोंका प्रचार करके हमारे उत्साहको वृद्धिंगत करें। झवेरीबाजार, बम्बई। श्रावण शुक्ल १५-रक्षाबंधन सं० १९८९ ) निवेदकमणीलाल झवेरी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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