Book Title: Sabhashya Tattvarthadhigam Sutrani
Author(s): Motilal Laghaji Oswal
Publisher: Motilal Laghaji Oswal

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Page 13
________________ (११) न देवाः ॥५१॥ औपपातिकचरमदेहोत्तमपुरुषासंख्येयवर्षा युषोऽनपवायुषः ॥५२॥ इति द्वितीयोऽध्यायः॥२॥ अथ तृतीयोऽध्यायः। रत्नशर्करावालुकापङ्कधमतमोमहातमःप्रभाभूमयो घनाम्बुवाता काशप्रतिष्ठाः सप्ताधोऽधः पृथुतराः॥१॥ __तासु नरकाः॥२॥ नित्याशुभतरलेश्यापरिणामदेहवेदनाविक्रियाः ॥३॥ परस्परोदीरितदुःखाः ॥४॥ संक्लिष्टासुरोदीरितदुःखाश्च प्राक् चतुर्थ्याः ॥५॥ तेष्वेकत्रिसप्तदशसप्तदशद्वाविंशतित्रयस्त्रिंशत्सागरोपमा सत्त्वानां परा स्थितिः॥६॥ जम्बूद्वीपलवणादय शुभनामानो द्वीपसमुद्राः ॥७॥ द्विर्द्धिर्विष्कम्भाः पूर्वपूर्वपरिक्षेपिणो वलयाकृतयः॥ ८॥ तन्मध्ये मेरुनाभिवृत्तो योजनशतसहस्रविष्कम्भो जम्बूद्वीपः ॥९॥ तत्र भरतहैमवतहरिविदेहरम्यकहरण्यवतैरा वतवर्षाः क्षेत्राणि ॥ १० ॥ तद्विभाजिनः पूर्वापरायता हिमवन्महाहिमवन्निषधनील रुक्मिशिखरिणो वर्षधरपर्वताः॥११॥ द्विर्धातकीखण्डे ॥१२॥ पुष्करार्धे च ॥ १३॥ प्राग्मानुषोत्तरान्मनुष्याः॥१४॥ आयो ग्लिशश्च ॥ १५॥ भरतैरावतविदेहाः कर्मभूमयोऽन्यत्र देवकुरूत्तरकुरुभ्यः॥१६॥ नृस्थिती परापरे त्रिपल्योपमान्तर्मुहूर्ते ॥१७॥ तिर्यग्योनीनां च ॥१८॥ इति तृतीयोऽध्यायः ॥३॥

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