Book Title: Sabhashya Tattvarthadhigam Sutrani
Author(s): Motilal Laghaji Oswal
Publisher: Motilal Laghaji Oswal
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(१०)
लब्ध्युपयोगी भावेन्द्रियम् ।। १८ ॥ उपयोगः स्पर्शादिषु ॥ १९ ॥ स्पर्शनरसनबाणचक्षुःश्रोत्राणि ॥ २० ॥ स्पर्शरसगन्धवर्णशब्दास्तेषामर्थाः ॥ २१ ॥
श्रुतमनिन्द्रियस्य ।। २२॥
वाय्वन्तानामेकम् ॥ २३॥ कृमिपिपीलिकाभ्रमरमनुष्यादीनामेकैकवृद्धानि ॥ २४॥
संशिनः समनस्काः ॥२५॥ विग्रहगतौ कर्मयोगः ॥२६॥
अनुश्रोणि गतिः॥२७॥
आविग्रहा जीवस्य ॥२८॥ विग्रहवती च संसारिणः प्राक् चतुर्थ्यः ॥ २९ ॥
एकसमयोऽविग्रहः ॥ ३०॥ एक द्वौ वानाहारकाः॥३१॥
सम्मूर्छनगर्भोपपाता जन्म ॥ ३२॥ सचित्तशीतसंवृत्ताः सेतरा मिश्राश्चैकशस्तद्योनयः॥ ३३॥
जरायवण्डपोतजानां गर्भः॥३४॥ नारकदेवानामुपपातः॥ ३५ ॥
शेषाणां सम्मूर्छनम् ॥ ३६॥ औदारिकवैक्रियाहारकतैजसकार्मणानि शरीराणि ॥ ३७ ॥
तेषां परं परं सूक्ष्मम् ॥ ३८॥ प्रदेशतोऽसङ्ख्येयगुणं प्राक् तैजसात् ॥ ३९ ॥
अनन्तगुणे परे ॥ ४०॥ अप्रतिघाते ॥४१॥
अनादिसम्बन्धे च ॥४२॥
__ सर्वस्य ॥ ४३॥ , तदादीनि भाज्यानि युगपेदकस्याचतुर्यः॥४४॥
निरुपभोगमन्त्यम् ॥ ४५ ॥ गर्भसम्मईनजमाद्यम् ॥ ४६॥ वैक्रियमोपपातिकम् ॥४७॥
लब्धिप्रत्ययं च ॥४८॥ शुभं विशुद्धमव्याघाति चाहारकं चतुर्दशपूर्वधरस्यैव ॥ ४९ ॥
नारकसम्मूर्छिनो नपुंसकानि ॥ ५० ॥

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