Book Title: Ratnatraya Part 01
Author(s): Surendra Varni
Publisher: Surendra Varni

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Page 783
________________ आन-बान-शान को बचा लिया है। चातक पक्षी के पुत्र ने जब यह सुना, तो उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे-ओ हो हो! मेरे कुल की ये महिमा है कि मनुष्य भी बखान कर रहे हैं। मैं अब पानी पीने नहीं जाऊँगा। मैं अपने कुल की आन-बान-शान की रक्षा करूँगा। बेटा वापस आ जाता है। प्रातः माँ चातकी देखती है और कहती है- बेटे! पानी पीकर आ गये क्या? वह बोला- नहीं, माँ! मेरे कुल की चर्चायें मनुष्य किया करते हैं। मैंने अपने कुल की आन-बान-शान का ध्यान रखा है। माँ! मैं पानी पीने आगे नहीं गया। चातकी ने अपने बेटे को सीने से लगा लिया। हमें अपने व्रतों का निर्दोष रूप से पालन करना चाहिए। जो ग्रहण किये हुये व्रतों का निर्दोष रूप से पालन करता है। उसका दूसरों पर भी प्रभाव पड़ता है और अनेक प्रकार के अतिशय भी देखे जाते हैं। ___ एक देश के मंत्री सोमशर्मा ने एक मुनिराज का प्रवचन सुना। मुनिराज ने अपने प्रवचन में अहिंसा का उपदेश दिया। उन्होंने प्रवचन में कहा- हिंसा दो प्रकार की होती है, द्रव्यहिंसा और भावहिंसा । भावहिंसा प्रधान होती है, क्योंकि भावहिंसा से ही द्रव्यहिंसा होती है। यदि मन में हिंसा के भाव ही नहीं आयेंगे, तो किसी के प्राणों का हनन भी नहीं होगा। इस प्रकार हिंसा का व्याख्यान सुनकर सोमशर्मा के भाव दया के बन गये और उसने उन मुनिराज से भावहिंसा न करने का नियम ले लिया। फलस्वरूप उन्होंने काष्ठ की तलवार मात्र दिखाने के लिये रखनी शुरू कर दी। एक दिन किसी चुगलखोर ने राजा से मंत्री के खिलाफ चुगली कर दी कि आपका मंत्री सोमशर्मा काष्ठ की तलवार रखता है। वह वक्त पड़ने पर आपकी क्या मदद करेगा? दुर्जन और विश्वासघाती बड़े पापी होते हैं। राजा के मन में बात बैठ गई। एक दिन दरबार में राजपुत्रों ने आकर _0_783_n

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