Book Title: Ratnatraya Part 01
Author(s): Surendra Varni
Publisher: Surendra Varni

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Page 799
________________ करता है। वात्सल्य ही से जिनसिद्धांतों का सेवन, साधर्मियों की वैयावृत्य, धर्म में अनुराग, दान देने में प्रीति होती है। जिन्होंने छह काय के जीवों पर वात्सल्य दिखाया है, वे ही तीनलोक में अतिशयरूप तीर्थंकरप्रकृति का बंध करते हैं। इसलिये जो कल्याण के इच्छुक भगवान् जिनेन्द्र द्वारा उपदेशित वात्सल्यगुण की महिमा जानकर सोलहवीं वात्सल्यभावना भाते हैं, वे ही दर्शन की विशुद्धता पाकर, तपरूप आचरण करके, अहमिन्द्रादि देवलोक को प्राप्त होकर, पश्चात् जगत् के उद्धारक तीर्थंकर होकर निर्वाण को प्राप्त होते हैं। इन सोलहकारण भावनाओं की महिमा अचिन्त्य है, जिससे तीनलोक में आश्चर्यकारी अनुपम वैभव के धारक तीर्थंकर होते वत्सल अंग सदा जो ध्यावै,सो तीर्थकर पदवी पावै । 0 799_n

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