Book Title: Purvbhav Ka Anurag
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 2
________________ इसमें मुख्यतया तीन पात्रों की जीवन्त कहानी है-पारधी, चक्रवाक और चक्रवाकी। पक्षियों में कितना प्रगाढ़ प्रेम और स्नेह बन्धन होता है? चक्रवाकी अपने प्रियतम चक्रवाक के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देती है। निरपराध प्राणी की हत्या हो जाने पर शिकारी पारधी का मन कितना आकुल-व्याकुल होता है और वह भी एक मूक पक्षी की विरह-व्यथा को न सह सकने के कारण उसी चिता में अपने प्राणों की आहुति दे देता है। पूर्वभव का यह अनुराग आगे भी संक्रान्त होता है। अनुराग के अनुबन्ध के कारण पूर्वजन्म की स्मृति होना, पुनः पूर्वभव के पति से मिलना, फिर मुनि के धर्मोपदेश से प्रबल विरक्ति होना, पतिपत्नी दोनों का दीक्षित होना आदिआदि इस उपन्यास के घटक हैं। -आदिवचन से

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