Book Title: Pujapankaj Bhaskar
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Page 253
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie याकाशवर्तिचैतन्यस्यवामनासारन्ध्रद्वाराञ्जलिवर्तिपुष्पेआनीयशालग्रामादिपी भा. 115 ठवर्तिचैतन्येकल्पितमूर्तीपुष्पप्रक्षेपद्वाराऐक्यविधायपूजयित्वा पूर्वकल्पितेष्टदेव प्र.१७ |तायाः पुष्पद्वाराहृदयाकाशवर्तिचैतन्येयोजयेदित्येवंरूपावाहनविसर्जने शालग्रा मादावपिविधेये नतुप्राणप्रतिष्ठाकार्येत्यपरे तन्त्रकौमुद्याम्महामहोपाध्यायदेव नाथठकुरस्तु शालग्रामशिलादौहिनित्यंसन्निहितोहरिः इतिकेचिद्वदन्त्यत्रबौधा यननिदर्शनात् सर्वत्रपरिपूर्णस्यतनुरूपस्यतेजसः सादरंसम्मुखीभावमावाह नमितीरितम् इतिसिद्धान्तसारीयवचनस्यानुरोधतः शिलादावपिकुर्वन्तिकेचि **集球体光洋洋洋年米米米米米米大学基本・ド・キ・ド・ 來半水迷迷味米米米米米米米米米步法一本一本一本本州老的本教 For Private and Personal Use Only

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