Book Title: Pujapankaj Bhaskar
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 261
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie 6 प्र.१७ त्य तत्पृष्ठेवामकरविन्यस्यदर्शयित्वानैवेद्यदोषसन्दावामकरेवमित्यमृतबीजंस चिन्त्यतत्प्टष्ठेदक्षिणहस्तकृत्वा अमृतेनाप्लाव्यमूलेनप्रोक्ष्यअष्टधामूलजप्त्वा धेनुमुद्राम्प्रदर्श्वनैवेद्यायनमः इतिगन्धपुष्पाक्षतैरभ्यर्च्यदेवमुखोद्गतन्तेजोविचिंत्य वामाङ्गुष्ठेननैवेद्यभाजनस्पृशन् दक्षहस्तस्थजलेनमूलमुच्चार्यइदंनैवेद्यममुकदे वतायैसमर्पयामिनमइतिजलमुत्सृज्य अनामामूलयोरङ्गुष्ठयोगेननैवेद्यमुद्राम्प्र दर्शयेत् ओंअमृतोपस्तरणमसिस्वाहेतिदेव्याहस्तेजलन्दद्यात् ततोवामकरणवि११९ कचोत्पलसदृशीग्रासमुद्राम्प्रदर्श्य दक्षिणकरणसमंत्रकम्प्राणादिमुद्राम्प्रदर्शयेत् / 学学中中中中中中中中实体体体体以体味伴体味 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323