Book Title: Pujapankaj Bhaskar
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir www.kobatirth.org 迷味牛牛体本半米米米米米米共生共事件未来半开半生 क्ष्यमलेनाग्निमादायतदंश गृहीत्वा नैर्ऋतकोणेओंक्रव्यादेश्योनमइतिक्षिपेत् ततो भा. मूलेनाग्निंस्थापयित्वावमित्यमृतीकृत्यहूमित्यवगुण्ठ्यफडितिसंरक्ष्य ऑवैश्वानरजा प्र.३७ तवेदइहावहलोहिताक्षसर्वकाणिसाधयस्वाहेतिवहिंसम्पूज्य तत्रेष्टदेवतामावा ह्यसम्पूज्य आज्येन ओंभूःस्वाहा ऑभुवःस्वाहा औस्वःस्वाहा ऑभूर्भुवःस्वः / स्वाहा इतिहुत्वामूलमन्त्रेणपञ्चविंशतिसंख्याकंहुत्वापुनर्व्याहृतिभिर्तुत्वा मुत्तौदे . वतांसंयोज्याग्निव्विसजयेदिति भोभोवमहाशक्तेसर्वकर्मप्रसाधक कर्मान्तरे 120 पिसम्प्राप्तेसान्निध्यकुरुसादरमितिविसर्जनकृत्वादेवतायैआचमनन्दत्वा तन्म 欧洲那来来来来来来那种开环病研洲研州將於半山 For Private and Personal Use Only

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