Book Title: Pravachansara Part 03
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 119
________________ कृदन्त-कोश गा.सं. संबंधक कृदन्त कृदन्त शब्द अर्थ अणिगूहिय न छिपाकर संकृ आदाय ग्रहण करके संकृ आलोचित्ता आलोचना करके संकृ आसिज्ज धारण करके संकृ आसेज्ज शरण लेकर संकृ प्राप्त करके गहिद स्वीकार करके संकृ अनि जाणित्ता जानकर संकृ .. णमंसित्ता नमस्कार करके संकृ दिट्ठा देखकर संकृ अनि पणमिय प्रणाम करके संकृ पेच्छित्ता समझकर भविय-भवीय होकर वियाणित्ता जानकर सोच्चा सुनकर संकृ अनि जानकर 52, 61, 65. 22 अक्खाद अणुगहिद भूतकालिक कृदन्त कथित भूकृ अनुगृहीत भूकृ अनि 64 3 (112) प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार

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