Book Title: Pravachansara Part 03
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 126
________________ गिलाण 30 . अशक्त/रोगी रोगी गुणों में समृद्ध संयत गुणड्ड गुत्त चादुव्वण्ण चार प्रकार चित्त छदुमत्थ जधत्थ जिदिंद जुट्ठ जुत्त जेटा Bebant.nl जेह जोण्ह नाना प्रकार का अल्पज्ञानी वास्तविक इन्द्रियों को जीतनेवाला 4 की गई सेवा युक्त 6, 26 सर्वोत्तम जिन जिन-मार्गानुयायी ज्ञानी क्षीण चारित्रवाला ज्ञान में सम्पन्न नाना प्रकार आत्मज्ञानी निश्चित निर्यापक तारनेवाला ण णट्ठचारित्त णाणड्ड णाणा णाणी णिच्छिद णिज्जावग णित्थारग प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार (119)

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