Book Title: Pratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna Author(s): Saumyagunashreeji Publisher: Prachya VidyapithPage 15
________________ प्रतिक्रमण एक रहस्यमयी योग साधना ...xili इस्लाम धर्म में भी पैगम्बर अबुक्कर ने अपने गुनाह का सौबा (पछानवा) करने हेतु छ: आवश्यक चरण बताए हैं जो कि प्रतिक्रमण का ही एक स्वरूप है। साध्वी सौम्यगुणाश्रीजी ने जैन विधि-विधानों का परिशीलन करते हुए अनेक गूढ़ विषयों का प्रामाणिक एवं प्रासंगिक विश्लेषण किया है। यद्यपि प्रतिक्रमण पर विविध प्रकार का साहित्य उपलब्ध है परन्तु एक स्थान पर सभी परम्पराओं का तुलनात्मक विवेचन सर्वप्रथम ही जन सामान्य को उपलब्ध हो पाएगा। इसी के साथ प्रतिक्रमण सूत्रों के रहस्य, प्रयोजन, मुद्रा लाभ आदि का वर्णन प्रतिक्रमण क्रिया से त्रियोग पूर्ण जुड़ाव में सहयोगी बनेगा। साध्वीजी एक गुढान्वेषी एवं कठिन परिश्रमी साधिका है। विनय एवं लघुता गुण के कारण गुरुजनों की कृपा पात्री भी हैं। वे अपनी लगन एवं जिज्ञासा वृत्ति को चिरंजीवी रखते हुए सदा काल श्रुत सेवा में संलग्न रहें तथा अपने अमूल्य अवदानों द्वारा जिनशासन के दीपक में घृत आपूरित करती रहें यह मनोकांक्षा है। डॉ. सागरमल जैन प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुरPage Navigation
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