Book Title: Pratigyasutra
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra wwwcbth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie होमेविनियुक्तः सर्वमेधंब्रह्मस्वयंविक्षततदीयंमंत्रगणंपवायुमच्छ त्येतस्मादायेद्वे अनुष्टुनौनतस्य द्विपदागायत्रीहिरण्यगर्भश्चतस्रोमा माहिठ-सीधस्मानद्वे एताः प्रतीकचोदिता ब्रह्मयज्ञेध्येया:सर्वत्रैवमे पोहचतस्रस्त्रिष्टुअआपोहयश्चित्प्रतीकचोदिते॥१५॥वनस्तत्पंचत्रि टुभः॥ सदसस्पतिंतृचेनमेधाकामोमेधांयाचतेप्रथमागायत्रीलिंगो क्तदेवताद्वितीयानेय्यनुष्ट तृतीयालिंगोक्तदेवतानुष्टुबिदंमेमांववर्णि क्यनुष्टुबेतयादेवेश्यः श्रीकामोयाचतेश्रिय।१६।अस्याजरासः॥ For Private and Personal Use Only

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