Book Title: Pratigyasutra
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Page 143
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सनु विश्वेषामदितिर्वामदेवोगोतमोमहोअग्नेः सावित्रस्यलुशोधानाको अनुक्तगायत्रत्रैष्टुभम् ॥१७॥इन्द्रस्तुत्युक्थ्योद्वितीयहनि॥ऍन्यःपुरो / रुचोद्वादशप्रतीकचोदितेचद्देतिस्रश्चापश्चिद्वसिष्ठोगावउपपुरुमीढा / जमीढीयदद्यवसिष्ठआसुतेसुनीतिरातिष्ठतं विश्वामित्रःप्रवः सुची कोवृहन्नित्रिशोकईदेहिमधुछंदाइंद्रोवृत्रविश्वामित्रःकुतस्त्वमगस्त्य / आतद्वौरीवितिशात्यइमान्तकुत्सोजगतीमनुक्तंगायत्रत्रैष्टुभं॥१८॥७१ सूर्यस्तुत्युक्थ्येतृतीयेहनि // सौर्यश्चतुर्दशपुरोरुचस्तिस्रश्चप्रतीको KKKIME***********OMEREMOIRIKNOWN For Private and Personal Use Only

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