Book Title: Pratigyasutra
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Page 139
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Jw4 वासामुदिर्य्यदकंदत्रयोदशाश्वस्तुतित्रिष्टुभोभार्गवोजमदग्निर्ददर्श दीर्घतमाश्च समिद्धोऽअद्यद्वादशाप्रीत्रिष्टुभोजमदग्निः // ११॥के / तुंकृण्वन्नाग्नेयीमनिरुक्तांगायत्रींमधुछन्दाः। जीमूतस्येवपायुर्भार / द्वाजः संग्रामांगान्युक्षौस्तौषीत्सन्नाहंकार्मुकंगुणमानीतूणंजगत्यः / नसारथिमर्द्धन श्मीनहरीन् रथर्छरथगोपायितन्जगत्यालिंगोक्तदेव / ताद्वाभ्यांत्रिष्टुबनुष्टुभ्यामिषुमनुष्टुभाकशांततोहस्तनंततस्तृचौरथदं / दुभिदेवत्यावेंदोर्द्धयॊत्यःसर्वात्रिष्टुभोनुक्ताआग्नेय्यःकृष्णग्रीवइत्या / / For Private and Personal Use Only

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