Book Title: Pratibodh
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. प्रकाशकीय प्रथम संस्करण से चातुर्मास काल में पानी की तरह प्रवचनों की बरसात होती है; किन्तु सरोवर के समान किसी ग्रन्थ में यदि उसे संकलित कर लिया जाय तो प्रवचनकाररुपी मेघ के अन्यत्र विहरने पर भी पिपासु जिज्ञासुवृन्द उससे पर्याप्त लाभ उठाता रह सकता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसी दृष्टिकोण से प्रेरित होकर परमपूज्य प्रात:स्मरणीय आचार्यप्रवर सद्गुरुदेव श्रीमत्पद्यसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रवचनों का यह अभूतपूर्व संकलन आज " प्रतिबोध" पुस्तक के नाम से श्री अरुणोदय फाउन्डेशन द्वारा प्रकाशित करते हुए हमें विशेष हर्ष का अनुभव हो रहा है । इस अवसर पर, सुव्यवस्थित रुप से सरल भाषा में समस्त प्रवचनों का पुनर्लेखन करनेवाले अनुभवी सम्पादक पण्डित श्री परमार्थाचार्य को नही भुलाया जा सकता, जिन्होंने दिनरात कठोर परिश्रम करके कम से कम समय में इस ग्रन्थ की पाण्डुलिपि तैयार कर दी । अन्त में हम आश्वासन देते हैं कि यदि समाज में इस ग्रन्थ का स्वागत हुआ तो शीघ्र ही हम कुछ और ऐसे ही ग्रन्थ प्रकाशित करने का प्रयास करेंगे | तृतीय संस्करण की बेला में परम पूज्य आचार्य प्रवर श्रीमत पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य एवं हमारे मार्गदर्शक मुनि प्रवर श्री अरूणोदयसागरजी म.सा. को गणिपद प्रदान प्रसंग पर 'प्रतिबोध' का तृतीय संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें परम प्रसन्नता हो रही है । इस प्रकाशन में सहयोगी सभी व्यक्तियों के हम अत्यंत आभारी है व भविष्य में भी हमें इसी प्रकार सहयोग मिलता रहेगा ऐसी आकांक्षा सह अध्यक्ष एवं ट्रस्टीगण श्री अरुणोदय फाउन्डेशन कोबा For Private And Personal Use Only - ३८२००९

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