Book Title: Prashnottar Ratna Chintamani
Author(s): Anupchand
Publisher: Jain Prasarak Gyanmandal

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Page 15
________________ तो आपणा आत्मानुं कल्याण थवा रूप उपकार पण तेमनोज छे. माटे तेमने देव मानवा. १० प्रश्नः-अन्यमतावलंबीओ जेने देव माने छे, तेने आपणे पण देव मानवा के नहीं? . उन्तरः-पूर्वोक्त अढार दूषणोथी रहित होय तो, तेमने देव मानवामां किंचित् दूषण नथी. ११ प्रश्नः-अन्य देवो दूषणो युक्त छ, एम केम कहेवाय ? उन्तरः-तेमनां चरित्र, मूर्तिओ तथा तेमनांज शास्त्रथी दूषणो सिद्ध थाय छे एटले देव केम मनाय ? १२ प्रश्न:-तीर्थंकर देवे आगमो लख्या, के कोणे लख्यां ? उत्तरः-तीर्थंकर देवें शिष्योने संभलाव्यां, शिष्यो संपूर्ण ज्ञानवान् थया. यादशक्ति तीव्र होवाथी महावीरस्वामीना निर्वाण पछी ९८० वर्ष सूधी तेस्रोए मोढे राख्यां अने भणाव्यां. दिन प्रतिदिन स्मरणशक्ति घटती होवाथी देवाईगणि क्षमाश्रमणे लखवानो आरंभ कों. १३ प्रश्न:-श्रागला आचार्य महाराजे केम नहीं लखाव्या ? उत्तरः-मुनि महाराज आरंभना त्यागी छे. लखवानो आरंभ थाय ते दोषथी व्हीने लखाव्यां नहीं. १४ प्रश्न:-देवाईगणि क्षमाश्रमण प्रारंभथी केम व्हीना नहीं ? . उन्तरः-पोते ज्ञानचक्षुथी जोयुं के, हवे पुस्तक नहि लखावीए तो म. वनी स्मरणशक्ति हीन थइ गयेली होवाथी सर्व शास्त्रनो लोप थइ जशे अने होटुं दूषण प्राप्त थशे. माटे अपबाद सेवीने पुस्तक लखाववानो प्रारंभ कर्यो. श्रा अधिकार वृहत्कल्पनी भाष्यमा स्फुटपणे छे. १५ प्रश्नः-ए आगमो कोनी पासे सांभलवां ? उत्तरः-गुरु महाराज पासे. १६ प्रश्नः-गुरु महाराज कोने मानवा ? उत्तरः-जे गुरु पापथी बीहे, सत्योपदेश आणे; हिंसा, असत्य, चोरी,

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