Book Title: Prashnottar Ratna Chintamani
Author(s): Anupchand
Publisher: Jain Prasarak Gyanmandal

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Page 13
________________ श्रीजैनधर्मोजयति. श्री प्रश्नोत्तररत्नचिंतामणि. १ प्रश्नः-जैनी कहेवाय छे ते शाथी ? उत्तर:-जिनना सेवक अर्थात् जिन महाराजना वचन रूपी अमृतनुं पान करनार छे तेथी. २ प्रश्नः-जिन ते कोण ? उत्तर:-राग, द्वेष, क्रोध, मान, माया, लोभ, काम, अज्ञान, रति, परति, शोक, हास्य, जुगुप्सा इत्यादि भावशत्रुओने जीतनार ते जिन, ३ प्रश्नः-पूर्वोक्त राग द्वेषादि कोणे जीत्या छे ? उत्तर-तीर्थकर तथा सामान्यकेवलीओए. ४ प्रश्न:-तीर्थकर ते कोण ? उत्तरः-साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका रूप चतुर्विध संघनी स्थापना करी, धर्मतीर्थ प्रवर्चावी अनेक भव्य जीवोने संसार समुद्रथी तारे ते तीर्थकर, ५ प्रश्न:-तीर्थंकर तथा सामान्यकेवलज्ञानीमां शो फेर ? उत्तरः-स्वयमेव बोध पामी सर्व जीवोने धर्मोपदेश दइने तारे ते तीर्थकर ने पूर्वोक्त तीर्थकरनो धर्मोपदेश अंगीकार करी केवलज्ञान पामे ते सामान्यकेवली. ६ प्रश्नः-सिद्ध थयेला सामान्यकेवली तथा तीर्थकरमा शो फेर ? . उत्तर:-सिद्धमां तो बन्ने सरखा छे, कंइ फेरफार नथी. तेमने कोइ दि. वस फरी संसारमा आववानुनथी. वली ते शरीरथी रहित छे. ७ प्रश्न:-वर्तमानकालमा कोइ तीर्थकर छे ? पवला.

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