Book Title: Prasharamrati Prakaranam
Author(s): Umaswati, Umaswami, Haribhadrasuri, Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 250
________________ परिशिष्ट-२, प्रशमरतिगताऽऽर्याणामकारादिक्रमेण सूची । नवकोट्युद्गमशुद्धो नात्मपरोभयबाधक ना गौरवविगमा नानार्जवो विशुद्ध्यति नान्यः स्वल्पोऽपि नाभेयाद्या सिद्धार्थराजसूनु नारकतिर्यङ्गमानुष नार्घति सहस्रभागं नालाभे वैक्लव्यं निकषे विषया नित्यं परिशीलनीये नित्यमभयमात्मस्थं नित्योद्विग्नस्यैवं निरुणद्धि मनोयोगं निर्जरणलोकविस्तर निर्जितमदमदनानां निश्चयतोऽस्यानिष्टं निश्चयविनाशधर्मिणि नीचैर्गोत्रं प्रतिभव नैकान् जातिविशेषा नैवास्ति राजराजस्य न्यायागतं च कल्प्यं पञ्चनवद्व्यष्टा पञ्चदशविधानः [ प ] पञ्चनवदश च दशविधधर्म पञ्चमहाव्रतदा पञ्चविधास्त्वेकद्वित्रिचतुः पञ्चविधोऽयं विधिवत् पञ्चाश्रवाद्विरमणं पञ्चाश्रवमलबहुला पञ्चेन्द्रियबलविबलो ६० उ १४७ उ २९२ पू १७० पू २५१ पू २७८ उ १५० पू २३८ पू ५२ उ ८६ उ १०० उ ८२ पू १२८ पू ३०४ उ ५३ उ १ पू १९१ उ परशक्त्यभिप्रसादा २५७ उ परिणाममपूर्वमुपागतस्य ८९ उ परिणामवर्तनाविधिः १०६ उ ८६ पू १२२ उ ३५ पू २१२ उ १ उ पञ्चेन्द्रियोऽथ पनकस्य काययोगं पन्नग इवाभ्यवहरे ११७ उ १९२ पू ११३ उ १७२ पू २० उ १०३ उ परकृतकर्मणि यस्मान्न परपरिभवपरिवादा परमाणुरप्रदेशो परिसङ्ख्यानं कार्यं परिहारविशुद्धिकं पारम्पर्यादुच्छेषिकाः कृपणकेन पिण्डः शय्या वस्त्र पिण्डः शय्या वस्त्रै पिण्डैषणानिरूक्तः पित्तार्दितेन्द्रित्वाद्वित पुत्रापराधवत्तन्मर्षयितव्यं पुद्गलकर्म शुभं पुद्गलवर्जमरूपं तु पुनरपि मनुष्यलोके पूजाश्च गन्धमाल्याधि पूर्वं करोत्यनन्तानु पूर्वद्वयलाभः पुन पूर्वद्वयसम्पद्यपि तेषां पूर्वपुरुषसिंहानां पूर्वप्रयोगसिद्धेर्बन्ध पूर्वमनेकाः प्रथिताः प्रशम पूर्वरचितं य तस्यां पूर्वोक्तभावनाभि पैशाचिकमाख्यानं प्रकृतिरियमनेकविधा प्रत्यक्षं चावधिमनः २२१ २७८ पू २७९ उ १३५ उ २६६ पू १०० पू २०८ उ ९० पू ६२ पू २१८ पू १४८ उ २२८ उ ६ उ १४५ उ १३८ पू १३४ पू ७८ उ ३१२ उ २१९ पू २०७ उ २९९ उ ३०५ उ २६० पू २३१ उ २३१ पू ९२ पू २९४ पू ५ उ २८४ पू ३०१ पू १२० पू ३६ पू २२५ उ २२१

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