Book Title: Prasharamrati Prakaranam
Author(s): Umaswati, Umaswami, Haribhadrasuri, Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 292
________________ परिशिष्ट-५, पाठान्तराणि २६३ का. ह. पा. पत्राङ्क स्थल: अव. टी. M १५७ १५८ १५८ १५८ Hoti ७-A १२८-B १२८-B १२८-B ३६-A प टी. to ho ho ho té to ho to Ho १५८ he i १५८ १५८ १५९ टी. to the १५९ टी. टी. 2wormor morrorrrrrow 9rror ti rs to the F 40 १६० १६१ १६१ १६१ १६२ १६२ १६२ १६२ १६२ १६२ १६२ १६२ अव F he ti rus ti ho ho ho ho ho ho ho पत्राङ्क पाठान्तर ६९-B (दे) तयेत् इति दृश्यते ४९-B (जै) सातादिति ३६-A वृत्तिर्यो -संवरोवितो आत्मन्यारोपितहितश्च १२८-B तदायत्ते ४९-B (जै) - वरदात्माक्षार्थ - वरदो मोक्षार्थ १२-B किमि( के )त्याह १२९-A - विशेषणाद्यः - विशोषणाद्यः ३६-B कर्मादि १२९-A चतुर्थकाष्टम १२९-B नीरसीकृतं च निरनुभाव्यं १३९-B सम्पर्यटता १२-B रूपाणि १२-B णामाः इत्यधिकम् १४०-A नास्ति ३७-B परपार ७-A अत्र इत्यधिकम् ३७-A दुर्लभावाधिकत्वभावना.... १४०-B प्रोक्त १४०-B मानुष.... १४०-B कर्मभूमिः सुदुर्लभा । १४१-A भरतानि पञ्चैरावतानि १४१-A - मगधावङ्ग.... ३७-A प्रज्ञा १२-B बोधिक १३-१४ तमे पत्रे न स्तः । कल्प [कल्य]ता-नीरोगता, आयु दीर्घायुष्कं, श्रद्धा-धर्म जिज्ञासा कथकश्चाचार्यः श्रवणं चाकर्णनं, एतेषु नवसूत्तरोत्तरदुर्लभेषु सत्स्वपि बोधिः सद्धर्मस्याख्याता(?) सम्यग्दर्शनं, [तस्य] सम्यग्लाभो [दुर्लभो] भवति ॥१६२॥ बोधिः, सद्धर्माख्यानं, सम्यग्ज्ञानलाभो, इति श्रद्धा कथकश्रवणपदानां विवरणम्, भवति इति शेष आर्यायां कार्यः इत्यवचूरि कारस्याशय इत्यस्माकमा भाति १४१-B - नाम १२८-B ३६-A ३१-B (दे) ३६-A ५०-A (जै) १२९-A ३६-B ३६-B ३६-B ३२-A (दे) ३२-A (दे) ३६-B १४०-B ७०-A (दे) १४०-B ३७-A ३७-A ३७-A ३७-A ३७-A १४१-A ३२-A (दे) Ho he ti ti ti H Heli ho Ho ho li to ti ti ti ho Hi टी. टी. टी. टी. टी. + +4 ho अव. ho ७-A H ७०-A (दे) १६३ टी. १ हे. ३७-B

Loading...

Page Navigation
1 ... 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333