Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01 Author(s): V M Kulkarni Publisher: B L Institute of IndologyPage 18
________________ Praktrit Verses in Sanskrit Works on Poetics *2. Tatha hyastau (vrttayah) Harinoktah yathāMahuram parusam komala...... (p. 17) महुरं परुसं कोमलमोजस्सि निठुरं च ललियं च । गंभीरं सामण्णं च अद्ध (? अट्ठ) भणितिउ नायच्चा (? नायव्वा)॥ The eight vyttis are: १ मधुरा २ परुषा ३ कोमला ४ ओजस्विनी ५ निष्ठुरा ६ ललिता ७ गम्भीरा and ८ सामान्या. Bhoja states in his SK (pp. 239-242) that according to some there are twelve vrttis, and he illustrates them. All these eight vrttis, spoken of by Hari, find a place in his treatment. 3) Tatra Sanskrit-Prakrit-slesodaharanamSarasabalam sa hi suro...... (p. 40) सरसबलं स हि सूरो ऽ सङ्गामे माणवं धुरसहावं । मित्तमसीसरदवरं ससरणमुद्धर इमं दवलं । (IV. 11) (शरशबलं सखि शूरोऽसङग्रामे मानबन्धुरस्वभावम् । मित्रमसीश्वरदवरं सशरणमुद्धरति मन्दबलम् ॥) इति प्राकृतच्छाया 4) Idanim Sanskrit-Magadhyudaharanam Kulala lilavalole...... कुलला लिलावलोले शलिलेशे शालशालिलवशूले। कमलाशवलालिबले माले दिशमन्तकेऽविशमे ॥ ( IV. 12). (कुररालिरावलोलं सलिलं तत्सारसालिरवशूरम् । कमलासवलालिवरं मारयति शाम्यतो विषमम् ॥) इति मागधीच्छाया 5) Idanim Sanskrit-pisa ca-bhā sā-slesodaharanam gathaKamanekatamā dānam...... (p. 41) कमनेकतमादानं सुरतनरजतु च्छलं तदासीनम्। अप्पतिमानं वमते सोऽ गनिकानं नरं जेतुम् ॥ (IV. 13) (कामे कृतामोदानां सुवर्णरजतोच्छलद्दासीनाम् । अप्रतिमानं क्षमते स गणिकानां न रजयितुम् ॥) इति पैशाचीच्छाया (p. 40)Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 ... 790