Book Title: Prakrit Margopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ हमणां हृमणां अन्य लेखकोद्वारा गुजराती तेमज संस्कृतमां लखायेलां अने छपायेलां बीजां पण प्राकृत व्याकरण विषयक पुस्तको जोई गयो. आ बधा ड्रंक पण तटस्थ अवलोकनधी मारा उपर बे छापो मुख्यपणे पडी छे: पहेली ए के बीजा कोइ पण वर्तमान गुजराती लेखकना प्राकृत विषयक पुस्तको करतां पं० बेचरदासना प्राकृत विषयक पुस्तकोमां प्राकृत विषयक अभ्यास वाचन अने चिंतन वधारे दीर्घकालीक, वधारे विशाळ अने विशेषपणे सतत छे. बीजी छाप प छे के तेमना चिंतनमां स्वतंत्रता विशेष होई सांप्रदायिक पूर्व ग्रहो मात्र संप्रदायने कारणे आडा नथी आवता. पण्डितजीनो पालिविषयक अभ्यास अने तद्विषयक वाचन प्रमाणमां ठीक ठीक होवाथी एमना पुस्तकोमां प्राकृत अने पालिभाषानी सरखामणी समुचित अने साधार के. तेथी एम कहेवाने कारण छे के जो प्राकृतना अभ्यासी त्रिद्यार्थीओ प्रस्तुत पुस्तकथी शरु करी चडते क्रमे एमनां बीजां पुस्तको वांचे के शीखे तो प्राकृत भाषाओना सचोट ज्ञान उपरांत साधे पालिभाषानुं पण असुक अंशे ज्ञान मेळवे, के जे प्राकृत भाषाना अभ्यासी वास्ते खास आवश्यक अने फळद्रूप छे. प्रस्तुत पुस्तक ए चोवीश वर्ष पहेलां लखायेल प्राकृतमार्गोपदेशिकानो परिपाक छे पटले हवे आ पुस्तक प्रसिद्ध थिया पछी ए प्राथमिक आवृत्तिने अभ्यासमां खास स्थान नथी रहेतुं प कहेवानी भाग्ये ज जरूर छे. जे जे पाठ्यक्रममां प्रथम छपापल गमनी मार्गोपदेशिका हती तेमां हवे आ पुस्तक दाखल करवुं दरेक दृष्टिए वधारे उपयोगी सिद्ध यशे. सुखलाल

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 294