Book Title: Prakrit Margopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay
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५ जे रूपोनी साधना आचार्य हेमचंद्र पण नथी बतावी तेवां ___ आर्षरूपोनी पण साधना आ पाठोमां वताववामां आवी छे. ६ केटलांक अव्ययो कने संख्यावाचक शब्दो माटे खास जुदा
पाठो गोठवेला छे. ७ प्राकृत वाक्यो करतां गूजराती वाक्यो जाणी जोईने ज
वधारेलां छे. विद्यार्थीनी बुद्धि प्राकृत भाषाने समजवाने ठीक ठीक व्यायाम मागे छे अने एवो व्यायाम ए वाक्यो द्वारा मळी रहे छे माटे ज गूजराती वाक्यो वधारे मुकेलां छे. छतां जे शिक्षको अने कुशाग्रबुद्धिवाळा विद्यार्थीओ ए व्यायामने न इच्छे तो तेम करवानी तेमने पूरती छूट छे. ८ सारांश अने प्रश्नो आरम्भना ज भागमां मूकेला छे तेथी
नवा नवा पाठो आवे त्यारे तेने अनुसरी सारांश अने प्रश्नो शिक्षकोए के विद्यार्थीओए उपजावी काढवाना के. ९ पाठोना टिप्पणोमां वर्णविकारना मुख्य मुख्य बधा नियमो जणावी दीधा छे. ए बधा नियमोनुं मूल, आदेश अने स्थानिनी समानतामां छे. जेमके-स्थानी 'प' होय, तो तेनो आदेश 'व' थाय छे. 'प' नो 'व' थवानुं कारण 'प' अने 'व' बन्नेनुं एक सरखं ओष्ठ स्थान छे छे. एज रीते 'ए' नो र 'ओ' नो 'उ' 'ट' नो 'ड' 'ठ' नो '' 'य' नो 'ज' 'ह' नो 'घ' वगेरे विकारो विशे समजवानुं छे. उचारण करनार व्यक्ति, एकने बदले बीजुं बोलतां स्वाभाविक रीते घणे भागे मळतेमळतुं बोले छे एथी ज शब्दोनां उच्चारणोमां फरक पण सरखेसरखो पडतो आवे छे. संयुक्त अक्षरोमां पण पूर्ववर्ती के परवर्ती वणनी समानताना धोरणे परिवर्तन थाय छे, 'ट' ने बदले 'क' बोलनारो के 'क' ने बदले 'भ' बोलनारो भाग्ये ज मळी शकशे ए ध्यानमा राखवातुं छे. परिवर्तननो आ एक महा
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