Book Title: Prakrit Margopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 12
________________ शब्दो अने बंगाळी शब्दो आपी जुदा जुदा प्रणेक मोटा पाठो उमेरवा धारेलुं पण सत्वरताने कारणे ते नथी बनी शक्युं, किंतु हवे पछीना संस्करणमां तेनुं स्थान जरूर रहेशे. ते ते पाठोमां वपरायेला शब्दोनो कोश, पुस्तकने प्रांते संस्कृत पर्याय अने अर्थ साथे मुकेलो छे. तेमां नामोनो विभाग जाति प्रमाणे करेलो छ, विशेषणो, अव्ययो, संख्यावाची शब्दो अने धातुओनो पण कोश ते ते विभागे गोठवेलो छे. पछी ये फारम जेटलुं सरळ गद्यपद्य मुकेलुं छे अने त्यार पछी तेनो पण सळंग कोश मुकेलो छे. पाठोमां आवेला शब्दकोशनी योजना मारा विनयी विद्यार्थी पं. शांतिलाल वनमाळी शेठ-न्यायतीर्थे करेली छे ते अर्थे तेनुं अहीं संस्मरण करुं छं. काशीविश्वविद्यालयमा जैनदर्शनशास्त्रना अध्यापक ख्यात दर्शनशास्त्री सुहृद्वर पंडित सुखलालजीए पुस्तकना आरंभमां 'काइक' लखी आपी पुस्तकने आशीर्वाद आप्यो छे ए बदल हुं शुं ल ते ज सझतुं नथी. अनुभवी शिक्षको अने अभ्यासी विद्यार्थीओ आ पाठोने शीखतां पोतपोतानी नोंधो अवश्य लखी राखे अने प्रसंग पडये मने ६ नोंधो सूचववा लक्ष्य राखे तो हुँ मने ठीक ठीक जाणी शकीश. आ पुस्तकने प्रकाशमां लावयानुं साहस गूर्जरग्रंथरत्नकार्यालयना प्रख्यात मालिक भाइ शंभुलाल जगशीष खेड्यु छे ते माटे ते पण स्मरणार्ह छे. वैशाख शुद ३ ) बेचरदास जीवराज दोशी भमरेली-काठियावाड )

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