Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्तक मळवा- ठेका'. पटेल कान्तिलाल हिरालाल ठे. पटेलवाडा मुः खेडा. ॥ भवभीर भव्य जीवोने सूचना ।। मत्कृतस्यास्य काव्यस्य, यो नाम चोरयिष्यति । अहंदाज्ञा खंडनस्य, पापं तस्य भविष्यति ॥१॥ भावार्थः-आ काव्यमांथी कोइ पण गाथा अथवा पद चोरी लइने नवी कविता उभी करी तेमां कर्तार्नु नाम फेरवी बीजुं नाम जे दाखल करशे, तेने श्रीजिनेश्वर प्रभुनी आज्ञा खंडन करवानुं पाप छे. केमके ते प्रभुएज कह्युं छे के वंजण अथ्थ तदुभय-एटले शास्त्रनो अक्षर, अर्थ तथा अक्षर अने अर्थ बन्ने ए बदलवाथी ज्ञाननी आशातना थाय छे माटे भवभीरु जीवोर व्यर्थ कवि थवानी लालसाए आ पुस्तकमाथी चोरी करी, अरिहंत प्रभुनी आज्ञा लोपवानु महापाप पोताने शिर वहोर नही. ली. कर्ता. - - मुद्रक : पंडित मफतलाल झवेरचंद गांधी मुद्रणस्थान : नयन प्रिन्टींग-प्रेस ढीकवा वाडी, रीचीरोड का. २-६१. अमदावाद For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 145