Book Title: Paumchariu Part 1
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 365
________________ णिविसेण पत अञ्जर्हे भवणु गउ पहसिउ अन्भन्तरें पड्डु ' परिपुर्ण मणोरह अज्जु देवि • तं णिसुर्णेवि भणइ वसन्तमाल 'भव-भवं संचिय- दुह-भायणीऍ तो किं' वेयारहि' रुअइ जाव महुरक्खर विणयालाव लिन्तु पलकें चडि करें लेवि देवि १५२ 140 is 20 परोप्परुलिन्ताइँ णीसन्धि-गुणेण ण णायाइँ इय रामएवचरिए 'पवणञ्जणा विवा हो' पउमचरिउ [१२] पच्छण्णु 'होवि थिउ कहि मि पवणु ॥ १ पणवेष्पिणु पुणु आगमणु सिड्डु ॥ २ आयउ वाउकुमारु लेवि' ॥ ३ थोरंसु - सित्त-थण-अन्तराल ॥ ४ एवड्डु पुण्णु जइ अञ्जणाऍ ॥ ५ सयमेव कुमारु पड्डु ताव ॥ ६ आणन्दु सोक्खु सोहग्गु दिन्तु विहसन्त - रन्तइँ थियइँ वे वि ॥ ८ ७ ॥ घत्ता ॥ कर मंडलिकरेप्पणु विष्णवइ तो उत्तरु काइँ देमि जगहों [ क० १२, १-९, ११-३ सरहसु आलिङ्गणु दिन्ताइँ । "दोणि वि एकं पिव जायाइँ ॥ ९ * [ १९. एगुणवीसमो संधि ] आउच्छिये पिय पवसन्तऍण । पच्छिम पहरें पहञ्जर्णेण 'तं' मेरुसेज्जहि मिगणयणि जं मइँ अवहत्थिय भन्तरण' ॥ Jain Education International धणञ्जयासिय सयम्भु एव-कए । अट्ठारहमं इमं पर्व ॥ [१] जन्तएण आउच्छिये जं परमेसरी । for विसर्पण ट्ठामुह अणसुन्दरी ॥ १ 'यसलहे गब्भु जइ संभवइ ॥ २ ण वि सुज्झइ एउ मज्झु मणों' ॥ ३ 12. 1Ps अंजणहो. 2 A होइ. 3 P records a variant 'तव पुण्ण', A उ सुहल. 4 Ps आइड 5A भय 6P corrects to 'भायणाहें. 7 P corrects to अंजणा है. 8 P किं ण, s किं पि. 9Ps वियारहि 10 Ps देतु 11 Ps श्वंतई. 124 भुहिं. 13 A ° गुगे णायाई. 14 Ps विणि 15 Ps एक्कमिव, A इक्कं पिव. 16 Ps अट्ठारसमं. 1. 1 s आरंच्छिय. 2 A जं पि वसंतऍण. 3 P तम्मारूसेज हे, s तंम्मारसेज्ज हे. 4 Ps मिगणयणे. 5 P जंतएण 6 A परमेसरि. 7PS पसण्ण. 8 A अंजणसुंदरि. 9P रद्दसलहिं, 8 रइसलहि. [१] १ क्षमां कुरु. २ अज्ञानेन. ३ बद्धहस्तौ ४ रजखलायाः. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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