Book Title: Paumchariu Part 1
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 378
________________ 10 क०५, ४-१०, ६, १-९;७, १-५] वीसमो संधि १६५ हय पक्खरिय पजोतिय सन्दण णिग्गय वरुणहों केरा णन्दण ॥ ४ पुण्डरीय-राजीव धणुद्धर वेलाणल-कल्लोल-वसुन्धर ॥ ५ तोयावलि-तरङ्ग-वगलामुह वेलन्धर-सुवेल-वेलामुह ॥६ सञ्झा-गलगजिय-सञ्झावलि जालामुह-जलोहँ-जालाबलि ॥ ७ जलकन्ताइ अणेय पधाईय सरहस आहव-भूमि पराइय ॥८ विरऍवि गरुड-बूहु थिय जाहिँ वइरिहिँ चाव-बूहु किउ ताहिँ ॥९ ॥ घत्ता ।। अवरोप्पर वरियइँ मच्छर-भरियइँ दूरुग्घोसिय-कलयलइँ । रोमञ्च-विसट्टई रणे अभिट्टइँ वे वि वरुण रावण-वलइँ ॥ १० [६] किय-अङ्गइँ उल्लालिय-खग्गइँ रावण-वरुण-वलइँ आलग्ग ॥ १ गय-घड-घण-पासेइय-गत्तइँ कण्ण-चमर-मलयाणिल-पत्तइँ ॥२ इन्दणील-णिसि-णासिय-पसर सूरकन्ति-दिण-लद्धावसरइँ ॥३ उक्खय-करिकुम्भत्थल-सिहरइँ कड्डिय-असि-मुत्ताहल-णियरइँ ॥४ पम्मुक्केकमेक-करवालइँ . दस-दिसिवह-धाईय-कीलालइँ ॥ ५. 15 गय-मय-णइ-पक्खालिय-धायइँ णञ्चाविय-कवन्ध-संघीयइँ ॥ ६ ताव दसाणणु वरुणहाँ पुत्तहिँ वेढिउ चन्दु जेम जीमुत्तेहिँ ॥ ७ केसरि जेम महाँगय-जूहहिँ .. जीउ जेम दुकम्म-समूहहिँ ॥ ८ ॥ घत्ता ।। एकलउ रावणु भुवण-भयावणु भमइ अणन्तऍ वइरि-वलें । 20 स-णियम्वु स-कन्दरु णाइँ महीहरु मैत्थिजन्तऍ उवहि-जलें ॥९ ताम वरुण रावणहाँ विभिच्चेंहिँ विहि-सुअ-सारण-मय-मारिच्चहि ॥ १ हत्थ-पहत्थ-विहीसण-राऍहिँ इन्दइ-घणवाहण-महकाऍहिँ ॥ २ अङ्गङ्गय-सुग्गीव-सुसेणेहिँ तार-तरङ्ग-रम्भ-विससेणेहि ॥ ३ ॥ कुम्भयण्ण-खर-दूसण-वीरेंहिँ जम्बव-णल-णीलेंहिँ सोण्डीरोहिं ॥४ वेढिउ खत्त-धम्मु परिसेसेवि तेण वि सरवर-धोरणि पेसेवि ॥ ५ 2 PA पजोतिय. 3 Ps पुंडरीव. 4 P A वेलामुह. 5 s संज्झावलिगजिय. 6 A जलोलि. 7 PS जलुकताइ. 8A पधाविय. 6. 1 s पच्चोइय. 2 A सूरकंत°. 3 P°दिणे, S °दिणि. 4 s घाइय. 5s संघाइय. 6 PS महग्गय . 7 P एकेल्लउ, S एकिलउ. 8 A मस्थिजंतऍ. 9 P S उअहि', A उवहिं. .. [६] १ अङ्गरक्षाणि. २ नृवड (निविड ? ). ३ सुगन्धवातम्. ४ मेघैः. ५ कटिनी. ६ गुहा. [७] १ वेष्टितः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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