Book Title: Paumchariu Part 1
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
15
क० १६, १-१०, १७, १-१०] एगुणवीसमो संधि
[१६] एक्कु जोहु संपेसिउ पासु दसासहो ।
अक्क-सक्क-तइलोक-चक्क-संतासहो ॥ १ अवरेक्कु विहि मि खर-दूसणहुँ पायाललङ्क-परिभूसंणहुँ ॥२ अवरेक्कु कइद्धय-पत्थिवहाँ सुग्गीवहो किक्किन्धाधिवहाँ.॥ ३ । अवरेक्कु किक्कुपुर-राणाहुँ णल-णीलहुँ पमय-पहाणाहुँ॥४ अवरेक महिन्द-णराहिवहाँ तिकलिङ्ग-पहाणहाँ पत्थिवहाँ ॥५ अवरेक धवल-णिम्मल-कुलहाँ पडिसूरहों अञ्जण-माउलहाँ॥६ दूवत्तएँ पत्तएँ गीढ-भय हणुवन्तहाँ मायरि मुच्छ गय ॥ ७ अहिसिञ्चिय सीयल-चन्दणेण पड वाइय वर-कामिणि-जणेण ॥ ८ आसासिय सुन्दरि पवण-पिय णं थिय तुहिणाहय कमल-सिय ॥ ९
॥त्ता॥ ताम 'विधीरिय माउलॅण 'मा माएँ विसूरउ करि मणहाँ । सिद्धों सासय-सिद्धि जिह तिह पइँ दक्खवमि समीरणहाँ' ॥ १०
[१७] पुणु पुणो वि धीरेप्पिणु अञ्जणसुन्दरि ।
णिय-विमाणे आरूढ णराहिव-केसरि ॥ १ गउ तेत्तहें जेत्तहें केउमइ अण्णु वि पल्हाय-णराहिवइ ॥२ . णरवर-विन्दाइँ असेसाइँ 'मेलेप्पिंणु गयइँ गवेसाइँ ॥ ३ तं भूअरवाडइ ढुक्काइँ घण-उलइँ व थाणहाँ चुक्काइँ ॥४ ॥ पवणञ्जउ जहिँ आरुहेवि गउ सो कालमेहु वणे दिट्ट गउ ॥ ५। उद्धाइउ उक्कर उबयणु तण्डविय-कण्णु तम्बिर-णयणु ॥ ६ तं पाराउट्ठउ करेंवि वलु गउ तहिँ जें पडीवउ अतुल-बलु ॥७ गणियारिउ ढोइय वसिकियउ णव-णलिणि-सण्डे भमर व थियउ॥423 किङ्करेंहिँ गवसन्तेहिँ वणे लक्खिउ वेल्लहले लया-भवणे ॥ ९ जोक्कारिउ विजाहर-सऍहिँ जिह जिणवरु सुरहिँ समागऍहिँ ॥ १० .
16. 1 Ps दूसणाहं. 2 PS परिभूसणाहं. 3 s किक्कपुर. 4 PS अवरेक्क. 5 Ps कुलणिम्मलहो. 6A दुव्वत्तए. 7 P हणुअंतहो. 8 A विहीरिय. 9 P S पहंजगहो.
17. 1 A °वंदाई. 2 PA मेल्लेप्पिणु, मिल्लेप्पिणु. 3 5 सो उक्करवयणु. 4 तंदुविअय. 5P 8 गणियारि पढोइय. 6 PS सई. 7 Ps वि. 8 Ps वेलहल.
[१६] १ विशेषेण धीरिता. [१७] १ मेलापकं कृत्वा. २ हस्तिनी,
पउ० चरि० 21
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458