Book Title: Pashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che Author(s): Jain Shwetambar Conference Publisher: Jain Shwetambar Conference View full book textPage 2
________________ भूमिका. दशेरा अथवा विजया दशमीने दहाडे पाडां, बकरां आदि निर्दोष प्राणीओनुं देवीने बळीदान आपवानुं धोरण केटलाक देशी राज्योमां चालतुं आवतुं हतुं; अने ते धोरण चालवानुं कारण मात्र एम समजवामां आवे छे के, वाममार्गीओनुं जे वखते प्रबल हतुं ते वखते दाखल थइ गयेलुं. जेम जेम विद्यानी वृद्धि थती गइ तेम तेम केटलाक विचक्षण राजकर्त्ताओए एवा बलिदान आपवाथी देवी रंजन थायज नहीं एवं समजी, ते अनार्यरिवाज बंध क र्यो. आम छतां पण केटलेक स्थळे ए रीवाज हजी हैयाति भोगवे छे. अने तेथी आ ग्रंथथी एम बतावी आपवा प्रयत्न कर्यो छे के, वेद जेवा गंभीर अने माहात्म्यवान धर्मशास्त्रमां आं बलिदान आपवानुं कोइ पण स्थळे कां नथी एवो वेदशास्त्रसंपन्न पुरुषोनो अनुभव छे. आजथी लगभग १२ वर्ष उपर, गुजरातमां आवेल धरमपुर राज्यमां, आ रीवाज घणा मोटा आकारमां चालतो हतो; तेथी त्यांना महाराजा साहेबनी इच्छाथी, हिंदुस्थानना विद्वान् पंडित महाशयोना अभिप्राय पूछवामां आव्या हता के बलिदान आप ते शास्त्रोक्त छे के नहीं? आवा जूदा जूदा सात प्रश्नो पूछ्वामां आव्या हता, अने तेना उत्तरो हिंदुस्थानना समर्थ पंडित राजोए आपी एम सिद्ध करी बताव्युं छे के, वेद जेवा पवित्र धर्मशास्त्रमां आवं घातकी कार्य उपदेश्युंज नथी; मात्र केटलाक स्वार्थी माणसोए, देशी राज्यकर्त्ताओनी धर्म श्रद्धानो लाभ लइ आवुं अनिच्छित कार्य प्रवेशावी दीधुं छे. धरमपुरना महाराजा साहेबे पूछावेला प्रश्नाना उत्तरो विचारी आ रीवाज बंध कर्यो छे; अने ते उपरथी ते उरोनो संग्रह करी, आ पुस्तकमां दाखल करवामां आव्यो छे. उत्तरो घणी मोटी संख्यामां आव्या छे, एटले मांना केटलाक आ पहेला भागगां दाखल करवामां आव्या छे, अने बाकीना बीजा भागमां दाखल करवामां आवशे. मोरबीवाळा अष्टावधानी शीघ्रकवि शंकरलाल महेश्वर भट्ट, जामनगरवाळा शास्त्रीजी हाथी भाई हरिशंकर, लीमडीवाळा भट्टजी बैजनाथ मोतीराम, मुंबईवाळा पंडित जेष्ठाराम मुकुंदजी आदि समर्थ पंडित राजोना अभिप्रायोनो आ पुस्तकमा समावेश करवामां आव्यो छे, अने ते उपरथी जोई शकाशे के, वेदशाखनी प्रवीणता आ पंडित राजोनी छे ते देशमशहूर छे; एवा पंडित राजोना अभिप्राय जोया पछी, एम आशा राखवी केवळ योग्य छे के, आ क्रूर रिवाज जे जे स्थळे चालतो हशे ते ते स्थळना राज्यकर्त्ता साहेबो अवश्य बंध करशे. आ हिलचाल सर्व देशीय छे जे जे स्थळे आ रीवाज प्रचलित होय ते स्थळना महाजनोए आ कार्य माथे लइ, पोतपोताना राज्यकर्त्तानी समीप अरज करवी घटे छे; अने तेमां अवश्य हिंदुस्ताननी तमाम हेमजा सददै पर्णा विना रहेशे नहीं. श्री जैन श्वेतांबर कोन्फरन्स. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 309