Book Title: Paryushana Kalpsutram
Author(s): Kesharmuni, Buddhisagar Gani
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobasrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पर्युषणा० पत्रं पृष्ठं पं० अशुद्धम् शुद्धम् | पत्रं पृष्ठं पं० अशुद्धम् शुद्धम् । पत्रं पृष्ठं पं० शुखम् शुद्धम् शुद्धिपत्रम् कल्पार्थ ०३ १ १३ सममनः सममनाः १२६ २ १४ द्विभक्ति द्विभक्ति १५१ २ ७ भरतेन भरतेन सह बोधिनी १०४ १ ७ पञ्चाशं पञ्चाशत् १२८ १ ४ क्षम क्षाम १५३ २ १० दयो द्वयो ॥४॥ २ १० द्विधा द्विविधा , २ १४ नोक्तो नोक्तो १५४ १७ तिपन्तिष १०९ १ ५ स्तमा स्तस्मा १३० , १२ द्रवीण द्रविण १५७ १ १४ सुधर्मः सुधर्मा * नन्तर १३१ ५ चरयत् त्तरं ददौ १६९ २ १० बन्दामि वन्दे १३ २ ५ न्यादिक न्यादिस्थिरक ७ "नाल" इति न युज्यते १७६ १ १ म्मील्य म्मेलयित्वा ११४ १ ६ णो म णो भगवान्म, २२ हसिक ।, , १३ काप्य काप्या १३३ २ ८ पशुना पशना" " १४ , , X११७ २ १२ चूर्णि भूणि १३४ १ १ क्षयते क्षते १७९ १ १२ , | ११९ २ १२ श्लोकस्य लोके , २ ११ भाए माए १९३ १ १ सुहूमे मुहुमेx " १४ रूमा रुमा १३६ १ ९ विष्णु विष्णो १९५ १ १२ रूपा ॥४॥ १२५ १ १३ मपस्थिका मस्थितिका १४१ , १४ वर्ष द्वर्ष २०१ २ १० ईर्या , २ ९ दित्रिभि दिभि १४३ १ १ द्दीप दीर्घ २०२ २ ७ निर्ग्रन्थानां निर्ग्रन्थीनां BEEEEEEEEEEEE For Private And Personal Use Only

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