Book Title: Parambika Stotravali
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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीगणेशायनमः॥ श्रीपरदेवतायाः स्तोत्ररत्नावली लिख्यते / श्रीमद्गुरुपादुकाभ्यो नमः // सर्वेशे सर्वरूपेम्ब सर्वशक्तिधरे शिवे / दासस्य ते महे शानि दुःखं दूरतरं कुरु // 1 // भ्राभ्यमाणं स्वकौघैः पुर। चीर्णैर्दयानिधे / तमाश्वासय मां देवि दुःखं० // 2 // अहं तु दुःखयोग्योस्मिानाचाररतः परे तथापि शरणापन्नो दुःखं० // 3 // दयाचित्नासदृशी तव नास्त्यन्यदेवता। दुःखदारियूहरणी दुःखं० // 4 // विकर्माकर्मरुद् दुःखी जातोनामजपात्तव / प्रायश्चित्तकदेवाऽहं दुःखं० // 5 // दयानिधिरितिख्याता शरणागतवत्सला / अधमोडारिणीनाम्ना दुःखं० // 6 // दुर्गाणिच तरत्याशुभद्रनामजपात्तव / इति सत्येनदेवोशि दुःखं० // 7 // तवनामप्रभावेण सकलाहि मनो रथाः। ममसन्तुमहेशानि दुःखं० // 8 महादुःखौघदली महापातकनाशिनि / महादेवि नमस्तेऽस्तु दुःखं . नामनावंसमारूढस्तरेत्संसारसागरम् / ॐ दुःखं० // 10 // कल्याणि कालि कलि For Private and Personal Use Only

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