Book Title: Parambika Stotravali
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पठन् पराम्बापदं याति // 12 // इति श्रीआसिौभाग्य दशकसमाप्तिमफाणीत् // श्रीमती वाङ्मनोतीतस्वरूपसौंदर्यां विजयतेतराम् // श्रीगणेशायनमः॥ उकल्याणि कालि कमलासनिकाम रूपे कृष्णार्चितांधिं कमले कमलायताक्षि // कामाक्षि काल भयकर्तिनि कोमलागि संसारजालपतितं जगदम्बरक्ष // 1 // एणाङ्कभानुहुतभुङ्नयने त्रिशक्ते हेरुद्रपूजितपदे प्रणतार्ति हन्त्रि एकाकिनि प्रणतपालिनि विश्वरूपे संसारजालपतितं जगदम्ब रक्ष // 2 // ईशेश्वरि प्रलयसंस्थितिसृष्टिकर्षि स्वा स्मैक्यभावनपरायण बोधदात्रि एकाग्रचित्तनिजभक्तरतास्पदे मां संसारजालपतितं जगदम्ब रक्ष // 3 // लजाभयादिपशु पाशविनाशकत्रि वाणीलमुद्र तनयापरिवीजितानि // उद्यत्स हस्रकरवर्णसमानकान्ते संसारजालपतितं जगदम्ब रक्ष // ४॥हींभावनाप्रकटितस्वपदारविन्दे हेकल्पवाटिमणिमण्ड पमध्यसंस्थे // हेशम्भुवमविचरजनशीघूलभ्ये संसारजालप तितं जगदम्ब रक्ष // 5 // हर्षप्रफुल्लनयने हरिकेशयोने हा लामदप्रमुदिते हरिणाङ्कमौले // हैयङ्गवीनहृदये हयमेधतुष्टे For Private and Personal Use Only

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